भारत में कयर उद्योग का विकास (Coir Industry in India)
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में MSME मंत्री श्री नारायण राणे ने सिंधुदुर्ग के कनकावली में कयर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया।

मुख्य बिंदु :-
- केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री श्री नारायण राणे ने हाल ही में शाम सिंधुदुर्ग के कनकावली में कयर बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया।
- गौरतलब है की कयर बोर्ड कोंकण क्षेत्र में कयर उद्योग के विकास के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस क्षेत्रीय कार्यालय के खुलने से कयर बोर्ड क्षेत्र में और प्रगति आएगा।
- गौरतलब है की एक बड़े तटीय क्षेत्र और नारियल के बागान के बावजूद कोंकण में कयर उद्योग विकसित नहीं हुआ। लेकिन उम्मीद है की अब कयर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना के साथ कयर उद्योग की मदद से यह क्षेत्र केरल और तमिलनाडु की तरह समृद्ध हो जाएगा। साथ ही इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
कोंकण क्षेत्र में कयर बोर्ड द्वारा कार्यान्वित किए जाने वाले कार्यक्रम निम्न हैं :
- कयर बोर्ड महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में कयर उद्योग के विकास और कोंकण क्षेत्र के साथ-साथ इस कार्यालय के अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राज्यों में अधिक विकास गतिविधियों के लिए उन्नत गतिविधियों का संचालन करेगा।
- क्षेत्रीय कार्यालय बोर्ड की सेवाओं के विस्तार के लिए एक विशिष्ट केंद्र और महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात राज्यों में विभिन्न कयर विकास गतिविधियों जैसे ऊष्मायन/कौशल, विपणन, अनुसंधान एवं विकास केंद्र, तकनीकी सहायता, योजना कार्यान्वयन आदि को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- पुणे, अलीबाग और इसके उपनगरीय शहरों में उपलब्ध विशाल बाजार संभावनाओं की खोज के लिए पुणे में नया कयर बोर्ड शोरूम और बिक्री डिपो खोला जाएगा। पुणे और मुंबई में खरीदार-विक्रेता बैठकें आयोजित की जाएंगी।
- इस क्षेत्र के निर्यातकों की पहचान की जाएगी और निर्यात बाजारों को बढ़ावा देने के लिए मुंबई, विशाखापत्तनम और कांडला के बंदरगाहों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोर्ड के तहत पंजीकृत किया जाएगा। मौजूदा निर्यातकों की सेवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है।
- उद्यमिता विकास कार्यक्रमों, स्फूर्ति योजना सहित मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के जरिए निर्यात क्षेत्र को मजबूत करने के लिए बाजार विकास कार्यक्रमों आदि के बारे में जागरूकता लाकर कयर कारीगरों में जानकारियां बढ़ाई जाएंगी।
- आवश्यक सहायता और वित्तीय सहायता देकर MSME मंत्रालय की PMEGP और स्फूर्ति योजनाओं का उपयोग करने वाले संभावित उद्यमियों का सृजन किया जाएगा।
- सीवीवाई-कौशल उन्नयन और महिला कयर योजना के तहत विभिन्न कयर प्रसंस्करण तकनीकों में अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे PMEGP/स्फूर्ति योजनाओं का लाभ उठाकर कयर क्षेत्र में स्थायी रोजगार और राजस्व सृजन प्राप्त कर सकें।
- कयर क्षेत्र से प्रशिक्षुओं के उत्पाद और MSME उत्पादों की बिक्री के लिए केंद्र के पास एक डिस्प्ले/प्रमोशनल (प्रदर्शन/प्रचार) आउटलेट होगा।
- स्फूर्ति योजना के तहत कयर कारीगरों को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए और अधिक कयर समूह तैयार किए जाएंगे।
- PMEGP योजना के तहत रोजगार सृजन के लिए अलग-अलग इकाइयों की स्थापना की जाएगी। इसमें मुख्य रूप से कयर फाइबर और यार्न रेशम और सूत, कयर जियो टेक्सटाइल, कयर मैट और हस्तशिल्प, उद्यान सामग्री, पिथ ब्लॉक, सिला हुआ ऊनी कपड़ा, पिथ खाद (खाद मज्जा) आदि के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- भारत सरकार द्वारा देश में कयर उद्योग के समग्र सतत विकास के लिए कयर उद्योग अधिनियम, 1953 के तहत कयर बोर्ड की स्थापना की गई थी।
- अधिनियम के तहत निर्धारित बोर्ड के कार्यों में वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक अनुसंधान, आधुनिकीकरण, गुणवत्ता सुधार, मानव संसाधन विकास, बाजार संवर्धन और इस उद्योग में लगे सभी लोगों के कल्याण, सहायता और प्रोत्साहित करना शामिल है।
क्या है कयर उद्योग
- भारत में कयर उद्योग, कृषि आधारित एक ग्रामीण उद्योग है जो कि 7 लाख से अधिक कामगारों को जीविका प्रदान करता है जिसमें अधिकांश महिलाएं हैं।
- यह उद्योग नारियल उत्पादित राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक विकास के लिए प्रमुख भूमिका निभाता है।
- यह उद्योग इन क्षेत्रों की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उल्लेखनीय योगदान देता है।
- आप सोच रहे होंगे कि आखिर कयर है क्या तो आपको बता दें कि कयर को जूट शब्द से जाना जाता है। कयर को नारियल की हस्क से निकाला जाता है।
- कयर उद्योग के तहत निम्न उत्पादों को बनाया जा सकता है- फर्श पर बिछाने वाली चटाई, दरवाजे का पौदान, ब्रश, गद्दे, फोम के गद्दे आदि।
- कयर का नाता केरल राज्य से है जहां पर बड़े पैमाने पर नारियल के पेड़ लगाए जाते हैं तथा यहां दक्षिण के समुद्री तट पर संस्कृति से लेकर खान-पान तक सभी जगह नारियल का बहुत अधिक महत्व है।
- कयर से जुड़े प्रसंस्करण कार्यकलापों से केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा आदि जैसे देश के नारियल उत्पादक राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों को रोज़गार प्राप्त होता है।
कयर बोर्ड के बारे में
- भारत में कयर उद्योग समेत कयर एवं कयर उत्पादों के निर्यात के बज़ारों का विकास करने के लिए संसद के अधिनियम अर्थात् कयर उद्योग अधिनियम, 1953 (1953 का 45) के अंर्तगत भारत सरकार ने वर्ष 1954 में कयर बोर्ड का गठन किया।
- इस बोर्ड का मुख्यालय केरल के कोचि में कयर हाउस में स्थित है।
- यह बोर्ड भारत के विभिन्न भागों में 48 स्थापनाओं का संचालन करता है। यह बोर्ड सभी स्टैकहोल्डरों की सहायता से मौजूद उद्योगों की मदद करने तथा नए उद्यमों के निर्माण को बढ़ावा देने तथा इससे रोज़गार सृजन एवं आय अर्जन करने के माध्यम से कयर उद्योग की वृद्धि एवं विकास का संवर्धन करने का विज़न रखता है।