निष्पक्षता (fairness)
निष्पक्षता क्या है | What is Fairness
- सामान्य अर्थों में निष्पक्षता (Fairness) का तात्पर्य ‘बिना पक्षपात के सेवा सम्पादित करना’ है। वस्तुतः गैर तरफदारी और निष्पक्षता (Fairness) में कोई मौलिक अंतर नही है। निष्पक्षता गैर तरफदारी का ही सकारात्मक पहलू है।
- प्रशासन में निष्पक्षता (Fairness) का होना अत्यधिक आवश्यक है। प्रशासन में निष्पक्षता (Fairness) के अभाव के कारण कानूनी मामले बढ़ने लगते है। यदि प्रशासन में निष्पक्षता बरती जाए तो बहुत सारे कानूनी मामलों को प्रशासनिक स्तर पर ही हल किया जा सकता है।
- सर्वप्रथम वेबर (Weber) ने नौकरशाही की निष्पक्षता की धारणा पेश की थी। तब से लेकर अनेक विद्वानों ने निष्पक्षता (Fairness) की व्याख्या करने का प्रयत्न किया है। निष्पक्ष नौकरशाही की पहचान कई गुणों, जैसे-विशेषज्ञता, निष्पक्षता, स्थिरता तथा गुमनामी के साथ की जाती है।
- ‘संकेत इस बात की ओर है कि राजनीतिक दलों के साथ सम्पूर्ण तटस्थता के साथ-साथ सरकार के कार्यक्रमों के राजनीतिक पक्षों के साथ संतुलित सम्मान और विवेकपूर्ण सहानुभूति का भी मिश्रण होना चाहिए, साथ ही साथ सरकार के कार्यक्रमों और निर्णयों की पृष्ठभूमि में मूल दार्शनिक तथा सामाजिक-आर्थिक वाद-विवाद के प्रति जागरूकता और लोकतांत्रिक धारणाओं के प्रति भक्ति भी होनी चाहिए।
- राजनीतिक निष्पक्षता का अर्थ नौकरशाही के सदस्यों का व्यक्तिगत रूप में राजनीतिक क्रिया व पक्षपात से परहेज करना ही नही, अपितु यह भी है कि चाहे सरकार का राजनीतिक रंग कोई भी हो, नौकरशाही उसकी इच्छा के अनुरूप चलेगी।
- एक प्रशासन को राजनीतिक दलों के बीच अथवा प्रभुत्वकारी दल के भीतरी गुटों के झगडे़ में उलझना नही चाहिए। इसका अर्थ यह है कि प्रशासन को जागरूक होकर निरंतर प्रयत्न करना चाहिए कि वह राजनीति कैसी भी हो उससे अपने आप को अलग रखे।
निष्पक्षता (Fairness) की जिस धारणा को ऊपर बताया गया है उसके तीन भावार्थ है-

- निष्पक्षता के मॉडल को जबरदस्ती लागू नही किया जा सकता। दोनों पक्ष अर्थात राजनीतिक दल और मंत्रियों सहित निर्वाचित प्रतिनिधि तथा लोक-अधिकारी इस मॉडल के भावार्थों को अनिवार्य रूप से स्वीकार करे।
- इस मॉडल को लागू नही किया जा सकता यदि दोनों में से कोई भी समूह इसकी जिम्मेदारियों तथा भावार्थों को स्वीकार करने से इन्कार करता है। इसके अतिरिक्त निष्पक्षता मन की एक स्थिति है और इसको बनाये रखने के लिए कोई कानून प्रभावकारी नही हो सकता।
- ‘यह लोकसेवा के प्रशासनिक उत्तरदायित्व का एक तत्व है और एक लोकसेवा की बौद्धिक सत्यनिष्ठा का एक अंश है। लोकसेवा की विशेषता इसको प्रोत्साहित कर सकती है। यह उन परम्पराओं का सीधा परिणाम भी हो सकता है जो स्वंय लोकसेवा के भीतर विकसित हुई हो।’
निष्पक्षता (Fairness) मापन के आयाम
- निष्पक्ष अथवा राजनीतिविहीन नौकरशाही की मूल शर्त यह होती है कि लोक-नौकरशाही को प्रशिक्षण और परम्परा के द्वारा एक ऐसे राजनीतिक संस्थान का रूप दे दिया जाये कि वह अपने राजनीतिक विचारों के प्रभाव के बिना सार्वजनिक नीतियों को लागू करे। कुछ आयामों का उल्लेख जिनके द्वारा निष्पक्षता की धारणा का मापन किया जा सकता है। ये है-
- निर्णय करने की प्रक्रिया में प्रभाव की मात्र।
- किस दर्जे तक राजनीतिक कार्यकारिणी को नौकरशाही से अलग किया गया है।
- लोकसेवकों के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप कहाँ तक होता है।
- नौकरशाही किस हद तक राजनीति में उलझी हुई है।
- जनता को नौकरशाही में किस हद तक विश्वास है। एक निष्पक्ष अथवा राजनीतिविहीन नौकरशाही के लिए जरूरी है कि पहली चार स्थितियों में उनकी अंक-प्राप्ति शून्य होनी चाहिए जबकि अंतिम अथवा पाँचवीं स्थिति में इनकी अंक-प्राप्ति उच्चतम स्तर तक होनी चाहिए।
निष्पक्षता (Fairness) की आवश्यकता क्यों?
- यह गुण अथवा योग्यता की व्यवस्था का उत्पादन है और इससे निष्पक्ष अराजनीतिक लोक-सेवा की प्राप्ति होती है।
- एक निष्पक्ष नौकरशाही में जिन गुणों (जैसे-स्थायित्व, निरंतरता, विश्वसनीयता और व्यावसायिकवाद) की कल्पना की जाती है।
- इनके लाभ उन दोषों (जैसे- रूढि़वाद, नित्यचर्या से अलग होकर चलने की अनिच्छा, धीमें परिवर्तन को अधिक अच्छा समझना, अशांत वातावरण में लोकनीति-निर्माण में बाधाएँ उपस्थित करना) से अधिक महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
- बहुदलीय लोकतांत्रिक राज्यों में जहाँ सामान्य इच्छा के परिवर्तन से सरकार के राजनीतिक रंग में परिवर्तन आ जाता है। सरकार के कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए लोकसेवा में सकारात्मक निष्पक्षता का होना अनिवार्य माना जाता है।
- निष्पक्ष नौकरशाही के विकल्प-पद पुरस्कार व्यवस्था अथवा नौकरशाही का सत्तारूढ़ पार्टी के पल्लू से बँधा हुआ होना, को अवांछनीय समझा जाता है।
निष्पक्ष नौकरशाही के सिद्धांत को प्रभावित हो जाने के कई कारण माने जाते है-निष्पक्षता (Fairness) प्रभावित होने के कारण
- नीति-निर्णय करने की प्रक्रियाएँ अब केवल राजनीतिक कार्यकारिणी तक ही सीमित नही रह गई, वे सरकार के समूचे ताने-बाने में फैल गई है जिसका परिणाम यह हुआ है कि इस नीति के क्षेत्रें और निर्णय करने के विषयों का हस्तांतरण हुआ है जिनमें राजनीतिक कार्यकारिणी कहीं भी सामने नही आती और फिर भी जो निर्णय होते है, वह सत्तारूढ़ की लोक-नीति को प्रतिबिम्बित करते है।
- सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं में लोक-नौकरशाही के नेतृत्व की भूमिका स्पष्ट हो गई है, किंतु विकासशील देशों की परिस्थितियों में ऐसा बहुत प्रबल है। जहाँ राज्य बड़े पैमाने पर कल्याणकारी कार्यक्रम हाथ में लेता है, वहां निष्पक्षता न तो संभव है और न ही वांछनीय।
- शिखर स्तरों पर लोक-नौकरशाही का कार्यात्मक मूल्यांकन भी राजनीतिक अध्यक्षों के द्वारा किया जाता है, अतः इस मूल्यांकन में राजनीतिक मापन का कुछ तत्व आ जाना जरूरी है।
- लोक-सेवक अपने पालन-पोषण का उत्पादन होते है और उनके निर्णयों में व्यक्तिपरक (Subjective) तत्व को हटाया नही जा सकता जो समस्याएँ और मुद्दे उनके सामने आते है, वे उन पर मनोवैज्ञानिक निष्पक्षता नही रख सकते।
- जिस राजनीतिक व्यवस्था में सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों के विचारों में भारी भेद होता है, विशेषतया जहाँ राजनीतिक शासकों और लोकसेवकों के बीच नीति और उसको लागू करने संबंधी कार्यों का परम्परागत स्पष्ट विभाजन नहीं होता, वहां निष्पक्षता वास्तव में एक कल्पना है।
- विकासशील देशों की व्यवस्थाओं में जो मूल राजनीतिक झगडे़ होते हैं, उन्हीं को अवश्यंभावी तौर पर छोटे बड़े पैमाने पर नौकरशाही पुनर्जीवित करती है और इस प्रकार इसके लिए निष्पक्ष तौर पर कार्य करना बहुत ही कठिन होता है।
- विकासशील देशों में नौकरशाही राजनीतिक परिवर्तन लाने पर तुले होते हैं और बुद्धिजीवी जो उन्नति की दर से असंतुष्ट होते हैं, अपने आप को नौकरशाही की असंगत स्थिति में पाते हैं, क्योंकि नौकरशाही कानून और व्यवस्था की औपनिवेशिक परम्परा में गहरी तल्लीन होती है।
- यहां नौकरशाही की निष्पक्षता को सन्देह की दृष्टि से देखा जायेगा। जितना ही अधिक उच्च लोकसेवा समाज की वर्तमान व्यवस्था की संरक्षक प्रतीत होती है, उतना ही कम इसको वास्तव में निष्पक्ष माना जायेगा। यह अपने ही हितों और समूह में एकरूपता का विकास करती है और यह संगठनात्मक लक्ष्य को आत्मरक्षा की ओर ले जाती है।
- नौकरशाही के सदस्य व्यक्तिगत रूप में विशेष हितों अथवा समूहों के साथ अपने आप को जोड़ लेते हैं और उनकी यह एकरूपता उस ढंग में प्रतिबिम्बित होती है जिस ढंग से वह सरकार का कार्य चलाते हैं और सार्वजनिक नीतियों अथवा कार्यक्रमों के कार्यान्वित होने को प्रभावित करते हैं।
- आज के युग में एक नौकरशाह व्यक्तिगत रूप में निष्पक्ष नही हो सकता। यह एक गुण नहीं है, अपितु सामाजिक अपूर्णता का प्रदर्शन है। यह कहा जाता है कि निष्पक्षता की आड़ में नौकरशाही अपनी स्वायत्तता को स्थापित करने का प्रयत्न करती है।
- नौकरशाही नीति बनाने में भाग लेती है जो कि राजनीति है। अतः राजनीतिक निष्पक्षता की धारणा को एक प्रकार का अनैच्छिक धोखा समझा जाता है जिसमें लोक-सेवक भ्रष्ट निर्णय नहीं ले रहे, फिर भी वह तो निर्णय करते है, उनके दूरगामी राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं।
लोकसेवा में निष्पक्षता (Fairness)
- लोक सेवकों की निष्पक्षता से तात्पर्य है कि वे राजनीतिक दृष्टि से तटस्थ रहेंगे और अपने पूरे सेवाकाल में निष्पक्ष रहेंगे।
लोक सेवा के प्रति समर्पण
- समर्पण वह व्यक्तिगत गुण है जिसके तहत संबंधित व्यक्ति किसी भी कार्य को करने के लिए समय का प्रयोग बेहतर तरीके से करता है। समर्पण एक तरह का वादा होता है जो व्यक्ति स्वयं से अन्य के लिए करता है। यह ऐसा व्यक्तिगत गुण है, जिसका प्रयोग किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
- समर्पण शब्द सुनते ही हमें उत्साह, उमंग के साथ कार्य करने का बोध होता है। किसी समझौते में शामिल इस गुण के कारण ही एक व्यक्ति इसे बेहतर अंजाम दे पाता है, इसी गुण के कारण व्यक्ति अपने कर्त्तव्य का निष्पादन बेहतरीन ढंग से करता है।
- कई बार बहुत अधिक उत्तरदायित्व न होने के बावजूद व्यक्ति भक्तिभाव के कारण समर्पण दिखाता है, समर्पण व्यक्ति को अक्सर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और भटकाव से भी बचाता है।
- लोक सेवा के प्रति समर्पण से तात्पर्य है कि व्यक्ति केवल जनहित में कार्य करता है, यहां बिना रूके हुए जनहित में कार्य करने का प्रयास किया जाता है। एक समर्पित लोकसेवक अपने कार्य की जिम्मेदारी हमेशा खुद पर लेता है।
- एक समर्पित व्यक्ति किसी भी कार्य के निष्पादन के लिए स्वप्रेरित होता है, चाहे वह कार्य उबाऊ ही क्यों न हो। जिसे अपने दायित्व का बोध होता है, वह स्वतः ही समर्पित हो जाता है। एक समर्पित लोकसेवक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बेहतर ढंग से कार्य करता है और अपने कार्य से ही आनंद प्राप्त करता है।
वस्तुनिष्ठता (objectivity)
- सिविल सेवकों का एक बुनियादी मूल्य वस्तुनिष्ठता है। 1994 में यूनाइटेड किंगडम में बनाई गई नोलन समिति ने वस्तुनिष्ठता को योग्यता के आधार पर किए गए चयन के रूप में परिभाषित किया है।
- नोलन समिति के अनुसार चार ऐसे क्षेत्र है, जहां सरकारी काम करते हुए, सार्वजनिक पदाधिकारियों की योग्यता को आधार बनाना चाहिए।
- सार्वजनिक नियुक्तियां करते समय सरकारी पदधारी को योग्यता के आधार पर चयन करना चाहिए।
- संविदा या ठेके को प्रदान करते समय सरकारी पदाधिकारी को योग्यता के आधार पर चयन करना चाहिए।
- किसी व्यक्ति विशेष को पुरस्कार की सिफारिश करने में भी योग्यता को चयन का आधार बनाना चाहिए।
- सरकारी पदधारी को लाभार्थी की सिफारिश करने में भी योग्यता के आधार पर चुनाव करना चाहिए।
- दिल्ली मेट्रो के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर ई. श्रीधरन वस्तुनिष्ठता के बुनियादी मूल्य की दृष्टि से आदर्श सिविल सेवक है। उन्होंनें दिल्ली मेट्रों में सभी नियुक्तियां लोगों की योग्यता के आधार पर की। यहां तक कि अपने उत्तराधिकारी के चयन के लिए भी एक समिति या पैनल के गठन की सिफारिश की जिसके द्वारा पारदर्शी तरीके से उनके उत्तराधिकारी का चुनाव किया जाए।
- भारत में सरकारी कार्यों को ठेके पर देने में पर्याप्त भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद मौजूद रहा है। दिल्ली मेट्रो के निर्माण के समय ठेकों के आवंटन का कार्य केवल और केवल योग्यता के आधार पर किया गया। इसी तरह एक सरकारी पदाधिरी को कई कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में लाभार्थियों का चुनाव करना होता है। जैसे इंदिरा आवास योजना के तहत आवास प्राप्त करने के लाभार्थी का चुनाव।
- वस्तुनिष्ठता का मूल्य यह कहता है कि इंदिरा आवास योजना के तहत आवास प्राप्त करने के लाभार्थी का चुनाव उस योजना में तय किए गए अर्हता के मानदंडो के आधार पर किया जाए न कि किसी अन्य आधार पर।
लोक-सेवा के प्रति समर्पण भाव
- समर्पण का तात्पर्य ‘किसी के प्रति स्व को अर्पित करने की भावना’ है। समर्पण का यह गुण व्यक्ति को अपने अहं की भावना से बाहर कर दूसरे की वेदना के प्रति स्वयं में एहसास उत्पन्न करने का दूसरा नाम है।
- वस्तुतः समर्पण तब उत्पन्न होता है, जब हम किसी की वेदना को अपने स्व से अनुभूति प्राप्त करते है अर्थात यह संवेदना ही समर्पण को उत्पन्न करता है। एक मानव होने के नाते समाज में दीन, दुःखी और कमजोर व्यक्ति के प्रति संवेदना उत्पन्न होना स्वाभाविक है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति उसी मानवता को ग्रहण करता है।
- किस व्यक्ति में मानवता की मात्र कितनी अंशों में जाग्रत है। मानवता यह कहती है कि प्रत्येक व्यक्ति को दमित, शोषित, कमजोर व्यक्ति और वर्गों के प्रति संवेदना, सहिष्णुता और समानुभूति होनी चाहिए। इस प्रकार समर्पण किसी भी कार्य के सफल संचालन में निष्ठा को जन्म देता है।
- एक समर्पित मन कार्य संचालन में निष्पक्ष भाव से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में विश्वास करता है। किसी दण्ड या पुरस्कार की अभिप्रेरणा किसी भी प्रकार से उसमें चापलूसी या तरफदारी का भाव उत्पन्न नही करती है।
- सार्वजनिक सेवा और उसके प्रति समर्पण के भाव को समझने से पूर्व हमें सार्वजनिकता को समझना होगा। सार्वजनिकता से यहाँ तात्पर्य है सभी का कल्याण।
- प्रायः सार्वजनिक को सर्वहित से जोड़कर देखा जाता है अर्थात एक व्यक्ति को अपने सार्वजनिक जीवन में सर्वहित की भावना से जुड़ा होना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि एक व्यक्ति सदैव अपने जीवन में समाज और समुदाय के प्रति सेवा की भावना से कार्य करे।
- यहाँ विवेकानन्द की विचारधारा को याद करना अधिक प्रासंगिक प्रतीत होता है। विवेकानन्द मानते है कि समाज में समरसता और सद्भाव तभी आ पायेगा, जब समाज के सक्षम व्यक्ति असक्षम और कमजोर व्यक्ति को सक्षम बनाने की दिशा में प्रयास करेंगे। एक सिविल सेवक को सिविल सेवा में जाने के पश्चात सार्वजनिक सेवा का एक व्यापक अवसर प्राप्त हो पाता है।
- संभवतः आप भी इसी सेवा की भावना को लेकर सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करना चाहते हैं। यहाँ सर्वप्रथम सेवा के तात्पर्य को समझना होगा।
- सेवा त्याग, प्रेम का दूसरा नाम है और सिविल शब्द नागरिक शब्द को सूचित करता है। अतः भारतीय संविधान के द्वारा स्थापित मूल्यों को नागरिकों के हित में प्राप्त करना ही एक सिविल सेवक का सार्वजनिक उद्देश्य है।
- इस प्रकार इन उद्देश्यों की प्राप्ति के दौरान एक सिविल सेवक के समक्ष अनेक व्यक्तिगत सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियाँ प्रस्तुत होती है। जैसे पारिवारिक भावनाओं का दबाव, धार्मिक विचारधारा का दबाव, किसी राजनीतिक प्रतिनिधि की धमकी इत्यादि।
- सेवा के मूल्य एक सिविल सेवक से त्याग और प्रेम की भावना की अपेक्षा रखते है और जब एक व्यक्ति में त्याग की भावना उत्पन्न हो जाती है, तब उसमें दण्ड और प्रलोभन का भय समाप्त हो जाता है। अतः एक सिविल सेवक के सिविल सेवा संदर्भ को व्यावसायिक रूप से न लेकर सार्वजनिक सेवा भावना के रूप में लिया जाना चाहिए।
सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण की भावना हेतु सिविल सेवक से संबंधित पहलू-
- सेवा की भावना से समर्पित व्यक्ति ईमानदार, सत्यनिष्ठा और निष्पक्ष बना रहता है।
- भाषा जैसी संकीर्ण सोच से ऊपर उठकर राष्ट्र के उत्थान तथा निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
- सार्वजनिक सेवा से प्रेरित सिविल सेवक न ही भ्रष्ट गतिविधियों में भाग लेता है।
- सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण का भाव व्यक्ति में निर्भीकता को जन्म देता है।
- एक समर्पित सिविल सेवक ऐसी सेवा देने का प्रयास करता है, जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय की स्थापना के कारगर साबित होता है।
- समर्पण की भावना से एक सिविल सेवक को समाज के अन्य लोगों को भी सेवा हेतु प्रेरित करना चाहिए।
- सार्वजनिक सेवा में समर्पण की भावना सिविल सेवक को भाई-भतीजावाद की भावना से परे रखती है।
- समर्पित भावना से प्रेरित सिविल सेवक जनता के लिए रहनुमा बन जाता है।
- सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण जनता की भागीदारी प्राप्त करने में एक कारगर माध्यम साबित होगा।
- सार्वजनिक सेवा की भावना से प्रेरित सिविल सेवक सदैव उत्तरदायित्व को ग्रहण करना चाहता है।
- सार्वजनिक सेवा सिविल सेवक के जीवन में अन्य सभी कर्त्तव्यों और दायित्वों के क्रम में सबसे सर्वोंच्च हो जाता है।
- एक समर्पित मन सबको समान भाव से देखता है।
- वह अपने वातानुकूलित कक्ष से बाहर निकलकर समाज के बीच जाकर समस्याओं की अनुभूति स्वयं प्राप्त करे।
- समाज में दमित, शोषित, वंचित वर्ग की स्थिति को जानने हेतु स्वयं वस्तुस्थिति पर जाये और उनकी समस्या समाधान हेतु पूर्ण योगदान दे।
- इस प्रकार सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पित मन बिना किसी परिणाम की चिंता किये अपने साधन की पवित्रता पर बल देकर लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है। अभिजीत सेन गुप्ता समिति की रिपोर्ट के अनुसार देश की लगभग 80% जनसंख्या प्रतिदिन 20 रु. से कम में गुजारा कर रही है।
कमजोर वर्ग के लिए समानुभूति और करूणा
उदासीनता | सहानुभूति | समानुभूति | करूणा |
समस्या सुनेगा परंतु लापरवाही से। | समस्या को ध्यानपूर्वक सुनेगा। | समस्या को ध्यानपूर्वक सुनता है। | समस्या को ध्यानपूर्वक सुनेगा। |
भावना का अभाव | तत्काल दया दिखाने वाली प्रतिक्रिया देता है। यह प्रतिक्रिया अस्थायी व क्षणिक होती है। | अपने आप को संबंधित व्यक्ति की परिस्थिति में स्थित पाता है। काफी अधिक भावुकता की अनुभूति यह भावना काफी टिकाऊ होता है। | तत्काल समस्या के निदान के लिए उपाय करता है। |