भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2021 (Forest Survey Report 2021)
- हाल ही में भारत सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारतीय वन सर्वेक्षण की भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2021 जारी की। अक्तूबर, 2021 में भारत के वन शासन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिये MoEFCC द्वारा वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में एक संशोधन प्रस्तावित किया गया था।

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मुख्य बिंदु
भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2021 के विषय में:-
- भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI), देहरादून को देश के वन और वृक्ष संसाधनों का आकलन करने का काम सौंपा गया था। यह भारत के वन और वृक्ष आवरण का आकलन है।
- इस रिपोर्ट को द्विवार्षिक रूप से ‘भारतीय वन सर्वेक्षण’ द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इसलिए FSI प्रत्येक दो वर्ष में “वन सर्वेक्षण रिपोर्ट” जारी करता है।
- देश में वनों की स्थिति के बारे में रिपोर्ट तैयार करने का चलन वर्ष 1987 से शुरू हुआ था। इस प्रकार से 2021 में जारी हुई यह रिपोर्ट अपनी तरह की 17वीं रिपोर्ट है।
- उल्लेखनीय है की भारत उन कुछ चुनिन्दा देशों में है जो अपने वन क्षेत्र की स्थिति पर एक वैज्ञानिक अध्ययन करते आया है। जिसके तहत भारत में वन क्षेत्र का आकार, घनत्व, आरक्षित और संरक्षित वनों की श्रेणी में वनाच्छादित भू-भाग की स्थिति और इनके बाहर वनाच्छादित भू-भाग की स्थिति पर भी एक आंकलन प्रस्तुत करता है।
- इस रिपोर्ट के जरिये हमें अपने देश के वनों की स्थिति का एक परिदृश्य समझने में मदद मिलती है। समय- समय पर वनों के संदर्भ में होने वाले समस्त घरेलू (राष्ट्रीय) नीतिगत बदलावों और अंतरराष्ट्रीय संधियों, अनुबंधों और प्रस्तावों के मुताबिक जंगलों के वर्गीकरण और उन्हें देखने के नजरियों को भी इस रिपोर्ट में शामिल किया जाता है।
भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2021 के प्रमुख तथ्य
क्षेत्र में वृद्धि-
- देश का कुल वन और वृक्षों से भरा क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62 प्रतिशत है।
- 2019 के आकलन की तुलना में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- इसमें से वनावरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 721 वर्ग किमी की वृद्धि पाई गई है।
वनों में वृद्धि/कमी-
- वन आवरण में सबसे ज्यादा वृद्धि खुले जंगल में देखी गई है, उसके बाद यह बहुत घने जंगल में देखी गई है।
- वन क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी), इसके बाद तेलंगाना (632 वर्ग किमी) और ओडिशा (537 वर्ग किमी) हैं।
वन क्षेत्र में बढ़ोतरी के मामले में पांच शीर्ष राज्य |
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1- आंध्र प्रदेश | 647 वर्ग किलोमीटर, |
2. तेलंगाना | 632 वर्ग किलोमीटर, |
3. ओडिशा | 537 वर्ग किलोमीटर, |
4. कर्नाटक | 155 वर्ग किलोमीटर |
5. झारखंड | 110 वर्ग किलोमीटर |
अधिकतम वन क्षेत्र/आच्छादन वाले राज्य-
- क्षेत्रफल के हिसाब से, मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं।
- कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में, शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53%), अरुणाचल प्रदेश (79.33%), मेघालय (76.00%), मणिपुर (74.34%) और नगालैंड (73.90%) हैं।
भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से यहां सबसे ज्यादा वन |
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राज्य | वन क्षेत्र |
मिजोरम | 84.53% |
अरुणाचल | 79.33% |
मेघालय | 76.00% |
मणिपुर | 74.34% |
नागालैंड | 73.90% |
इन राज्यों में 75 फीसदी से ज्यादा वन क्षेत्र-
- पांच राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों जैसे लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में 75 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं।
इन राज्यों में 33- 75 फीसदी से ज्यादा वन क्षेत्र-
- 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात् मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव,असम,ओडिशा में वन क्षेत्र 33 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच है।
मैंग्रोव-
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2021 में देश में कुल मैंग्रोव क्षेत्र 4,992 वर्ग किमी है। 2019 के पिछले आकलन की तुलना में मैंग्रोव क्षेत्र में 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि पाई गई है।
- मैंग्रोव क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य ओडिशा (8 वर्ग किमी), इसके बाद महाराष्ट्र (4 वर्ग किमी) और कर्नाटक (3 वर्ग किमी) हैं।
79.4 मिलियन टन कार्बन स्टॉक –
- देश के जंगल में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है और 2019 के अंतिम आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 79.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। कार्बन स्टॉक में वार्षिक वृद्धि 39.7 मिलियन टन है।
काष्ठ भंडार-
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2021 में काष्ठ भंडार को लेकर भी आंकड़े मुहैया कराये गए हैं।
- यह रिपोर्ट बताती है कि देश में काष्ठ -भंडार की क्षमता 6,167.50 मिलियन क्यूबिक मीटर है।
- जिसमें 4388.50 मिलियन क्यूबिक मीटर वन क्षेत्र के अंदर और 1779.35 मिलियन क्यूबिक मीटर वन क्षेत्र की सीमा से बहार मौजूद वन क्षेत्र में मौजूद है।
बांस उत्पादन-
- बांस उत्पादन को लेकर इस रिपोर्ट में दिये गए आंकड़े भारत सरकार की महत्वाकांक्षी बांस उत्पादन परियोजना के लिए निराशाजनक हैं।
- इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में बांस उत्पादन का कुल क्षेत्रफल 1,49,443 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 10,594 वर्ग किलोमीटर की गिरावट 2019 की तुलना में दर्ज़ की गयी है।
कार्बन भंडार-
- कार्बन भंडार जो एक नयी आर्थिक परियोजना के रूप में भी आकार ले रहा है उसके आंकड़े हालांकि थोड़ा उत्साहजनक हैं।
- इस रिपोर्ट के अनुसार कुल वन क्षेत्र में कार्बन का भंडार 7,204 मिलियन टन आँका गया है।
- यहाँ 79.4 मिलियन टन की वृद्धि पिछली रिपोर्ट की तुलना में दर्ज़ की गयी है।
- अगर वार्षिक आधार पर देखें तो लगभग 39.7 मिलियन टन की वृद्धि हुई है जो 146.6 मिलियन टन कार्बन डाई आक्साइड के समतुल्य है।
जंगल में आग लगने की आशंका-
- आग से प्रभावित या आग लाग्ने के मामले में संवेदनशील वनों की शिनाख्त भी इस रिपोर्ट में की गयी है। इस रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल वन क्षेत्रों का 22.77 प्रतिशत जंगल ऐसे हैं जो आग की परिस्थितियों को लेकर अति संवेदनशील हैं।
- इसके लिए मंत्रालय ने विशेष कदम उठाने और सतर्कता बरतने पर ज़ोर भी दिया है।
क्लाइमेट हॉट-स्पॉट्स आंकलन-
- क्लाइमेट हॉट-स्पॉट्स आंकलन के निष्कर्ष भी इस रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं जो भविष्य में आसन्न परिस्थितियों के बारे में बताते हैं।
- इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सन 2030, 2050 और 2085 के लिए किए गए दूरगामी आंकलन से यह तस्वीर सामने आती है कि इन वर्षों में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सामान्य तापमान में वृद्धि होगी।
- इसके साथ ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल, गोवा, तमिलनाडू और आंध्र प्रदेश में बहुत कम या न के बराबर तापमान वृद्धि हो सकती है।
- पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में इसके संदर्भ में बात करें तो इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वोत्तर राज्यों और ऊपरी मालाबार समुद्री तटों में बेतहाशा बारिश बढ़ेगी जबकि पूर्वोत्तर के ही अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और पूर्व-पश्चिम के लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में बारिश की गति में मामूली या न के बराबर परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
रिपोर्ट में चिंता के विषय-
पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिति-
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2021 में पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं जो हिंदुस्तान में जैव विविधतता के लिए जाने जाते हैं और इसी रूप में वर्गीकृत भी किए जाते है।
- रिपोर्टके अनुसार पूर्वोत्तर क्षेत्रों में कुल 1,69,521 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र है जो इस क्षेत्र के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 66 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार इसमें 0.60 प्रतिशत यानी 1,020 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज़ की गयी है।
पहाड़ी जिलों की स्थिति-
- 140 पहाड़ी जिलों में कुल 2,83,104 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल दर्ज़ किया गया है जो इन जिलों के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का करीब 17 प्रतिशत है। मौजूदा आंकलन के मुताबिक इसमें भी 902 वर्ग किलोमीटर (0.32 प्रतिशत) की कमी दर्ज़ की गयी है।
आदिवासी बाहुल्य जिलों की स्थिति-
- आदिवासी बाहुल्य जिलों को जिन्हें इस रिपोर्ट में ट्राइबल डिस्ट्रिक्ट्स या आदिवासी जिले कहा गया है और जिनकी संख्या 218 है, वहाँ कुल वन क्षेत्र 4,22,296 वर्ग किलोमीटर है जो इन जिलों के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 37.53 प्रतिशत है।
- इस रिपोर्ट के मुताबिक यहाँ भी 622 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में गिरावट आयी है। हालांकि ये गिरावट अभिलेखों में दर्ज़ वन क्षेत्र (रिकोर्डेड फॉरेस्ट एरिया) और हरित क्षेत्र (ग्रीन वाश) के दायरे में मौजूद वन क्षेत्र के लिए है। लेकिन अगर इन्हीं 218 जिलों में इन दो श्रेणियों से बाहर पैदा हुए वन क्षेत्र की बात करें तो यहाँ 600 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज़ की गयी है।
अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं-
टाइगर रिजर्व, कॉरिडोर और शेर संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण
- वर्तमान ISFR 2021 में, FSI ने भारत के टाइगर रिजर्व, कॉरिडोर और शेर संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण के आकलन से संबंधित एक नया अध्याय शामिल किया है।
- इस संदर्भ में, टाइगर रिजर्व, कॉरिडोर और शेर संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण में बदलाव पर यह दशकीय मूल्यांकन वर्षों से लागू किए गए संरक्षण उपायों और प्रबंधन के प्रभाव का आकलन करने में मदद करेगा।
- इस दशकीय मूल्यांकन के लिए, प्रत्येक टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ISFR 2011 (डेटा अवधि 2008 से 2009) और वर्तमान चक्र (ISFR 2021, डेटा अवधि 2019-2020) के बीच की अवधि के दौरान वन आवरण में परिवर्तन का विश्लेषण किया गया है।
जमीन से ऊपर बायोमास (AGB) का आकलन
- इसमें FSI की नई पहल के तहत एक नया अध्याय जोड़ा गया है जिसमें ‘जमीन से ऊपर बायोमास’ का अनुमान लगाया गया है।
- FSI ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC), इसरो, अहमदाबाद के सहयोग से सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) डेटा के एल-बैंड का उपयोग करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर जमीन से ऊपर बायोमास (AGB) के आकलन के लिए एक विशेष अध्ययन शुरू किया।
- असम और ओडिशा राज्यों (साथ ही AGB मानचित्र) के परिणाम पहले ISFR 2019 में प्रस्तुत किए गए थे।
- पूरे देश के लिए AGB अनुमानों (और AGB मानचित्रों) के अंतरिम परिणाम ISFR 2021 में एक नए अध्याय के रूप में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। विस्तृत रिपोर्ट अध्ययन पूरा होने के बाद प्रकाशित की जाएगी।
भारतीय वनों में जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉट की मैपिंग
- FSI ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी के गोवा कैंपस के सहयोग से ‘भारतीय वनों में जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉट की मैपिंग’ पर आधारित एक अध्ययन किया है।
- यह सहयोगात्मक अध्ययन भविष्य की तीन समय अवधियों यानी वर्ष 2030, 2050 और 2085 के लिए तापमान और वर्षा डेटा पर कंप्यूटर मॉडल-आधारित अनुमान का उपयोग करते हुए भारत में वनावरण पर जलवायु हॉटस्पॉट का मानचित्रण करने के उद्देश्य से सहयोगात्मक अध्ययन किया गया था।
- रिपोर्ट में राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र के अनुसार विभिन्न मापदंडों पर भी जानकारी शामिल है।
- रिपोर्ट में पहाड़ी, आदिवासी जिलों और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में वनावरण पर विशेष विषयगत जानकारी भी अलग से दी गई है।
- ऐसी उम्मीद है कि रिपोर्ट में दी गई जानकारी देश में वन और वृक्ष संसाधनों पर नीति, योजना और दीर्घकालिक प्रबंधन के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगी।
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