History Quiz Set- 7
History Quiz for State and UPSC Civil Services Examinations. Objective Questions on History for competitive examinations.

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1. निम्नलिखित संतों पर विचार करें:
1. महावीर 2. पार्श्वनाथ
3. सुहस्तिन 4. भद्रबाहु
उपर्युक्त को कालक्रमानुसार व्यवस्थित कीजिए
(a) 1, 2, 3, 4
(b) 2, 1, 3, 4
(c) 2, 1, 4, 3
(d) 4, 2, 1, 3
2. बुद्धकालीन 6 महानगरों में कौन शामिल नहीं था?
1. कोसल 2. काशी
3. कौशाम्बी 4. वैशाली
(a) 1, 4
(b) 1, 2
(c) 2, 3
(d) 3, 4
3. निम्न सूत्रकारों में कौन दक्षिण भारत के थे?
1. गौतम 2. बौधायन
3. वशिष्ठ 4. आपस्तंभ
(a) 2, 4
(b) 2, 3
(c) 1, 2
(d) 1, 4
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4. सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित करें तथा कूटों की सहायता से उपयुक्त विकल्प का चयन करेंः
सूची-1 सूची-2
(जैन तीर्थकर) (प्रतीक)
A. संभवनाथ 1. कलश
B. विमलनाथ 2. शंख
C. अरिष्टेमि 3. वाराह
D. मल्लिनाथ 4. अश्व
A B C D
(a) 2 3 4 1
(b) 3 4 1 2
(c) 2 4 1 3
(d) 4 3 2 1
5. मौर्यकालीन ‘त्रिमुखी यक्ष’ की मूर्ति कहां से मिली है?
(a) परखम
(b) बेसनगर
(c) दीदार गंज
(d) राजघाट
6. सबसे अधिक संस्कार किस आश्रम से जुड़े हैं?
(a) ब्रह्मचर्य आश्रम
(b) गृहस्थ आश्रम
(c) वाणप्रस्थाश्रम
(d) संन्यासाश्रम
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7. निम्नलिखित युग्मों पर विचार करें:
पुस्तक लेखक
1. अनेकांतविजय – हरिभद्र सूरी
2. लोकविभंग – मुनिसर्वनदी
3. अभिधम्म कोष – बुद्ध घोष
(a) 1, 3
(b) 1, 2
(c) 1, 2, 3
(d) 2, 3
8. निम्नांकित में से कौन-सी रचना वाराहमिहिर की नहीं है?
(a) पंचसिद्धांतिका
(b) लघुजातक
(c) वृहत्जातक
(d) पंचांग विवेक
9. उत्तरवैदिक काल के संदर्भ में क्या असत्य है?
(a) वाजपेय यज्ञ शक्ति प्राप्त करने हेतु सोमयज्ञ था।
(b) राजसूय यज्ञ शक्ति प्राप्त करने हेतु सोमयज्ञ था।
(c) अश्वमेघ यज्ञ सर्वाधिक जटिल एवं महत्त्वपूर्ण था।
(d) इस काल में छोटे-छोटे घरेलू उद्योगों का प्रचलन नहीं था।
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10. ‘अर्थशास्त्र’ में उल्लिखित वार्ता’ का संबंध निम्नांकित में से किससे हैं:
1. कृषि 2. पशुपालन
3. वाणिज्य व्यापार 4. राजनयिक संबंध
(a) केवल 2
(b) 3 और 4
(c) 1 और 3
(d) 1, 2, 3
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उत्तर
1. (c) व्याख्या:-
1. पार्श्वनाथ
2. महावीर
3. भद्रबाहु
4. सुहस्तिन
2. (a) व्याख्या:-
- महापरिनिर्माण सूत्र के अनुसार बुद्धकालीन 6 महानगरों में चंपा भी एक था। ये महानगर थे – चंपा, राजगृह, श्रावस्ती, साकेत, काशी तथा कौशाम्बी।
3. (a) व्याख्या:-
- बौधायन एवं आपस्तंभ नामक सूत्रकार दक्षिण भारत के थे।
4. (d) व्याख्या:-
जैन धर्म के 24 तीर्थांकर
1. ऋषभदेव – सांड (वृषभ)
2. अजितनाथ – हाथी
3. सम्भवनाथ – अश्व
4. अभिनन्दन – कपि
5. सुमतिनाथ – क्रौंच
6. पद्मप्रभु – पद्म
7. संपार्श्व – स्वास्तिक
8. चंद्रप्रभु – चन्द्रमा
9. सुविधनाथ – मकर
10. शीतलनाथ – कल्पवृक्ष
11. श्रेयांस – गैंडा
12. वासुपूज्य – महिष
13. विमलनाथ – वाराह
14. अनन्तनाथ – श्येन
15. धर्मनाथ – वज्र
16. शान्तिनाथ – मृग
17. कुन्थनाथ – अज
18. ऊरहनाथ – मीन
19. मल्लिनाथ – कलश
20. मुनिसुब्रत – कूर्म
21. नेमिनाथ – नीलोत्पल
22. अरिस्टनेमि – शंख
23. पार्श्वनाथ – सांप
24. महावीर स्वामी – सिंह
5. (d) व्याख्या:-
- यक्ष-यक्षियों के प्राप्ति स्थल
परखम ग्राम (मथुरा) – यक्ष की मूर्ति जिसे मणिभद्र कहा गया है।
झींग का नगर (मथुरा) – एक यक्षी की मूर्ति
बेसनगर (विदिशा) – यक्ष एवं यक्षी की मूर्ति (बेसनगर यक्षी का स्थानीय लोग तेलिन कहते थे)
राजघाट (बनारस) – त्रिमुखी यक्ष की मूर्ति
दीदारगंज (पटना) – चामरग्राहिणी यक्षी की मूर्ति (मौयकालीन उत्कृष्ट मूर्ति)
- परक्षम यक्ष को प्रकाश में लाने का श्रेय कनिंघम को है। इस प्रकार उत्कीर्ण लेख है ‘निभद’ अतः इसे मणिभद्र यक्ष माना गया है। जैन ग्रंथों में भी भगवान मणिभद्र का उल्लेख है। महाभारत में भी मणिभद्र का उल्लेख आया है।
6. (b) व्याख्या:-
सबसे अधिक संस्कार गृहस्थ आश्रम से जुड़े हैं। संस्कारों की कुल संख्या 16 है –
1. गर्भाधान,
2. पुंसवन,
3. सीमन्तोनयन,
4. जातकर्म,
5. नामकरण,
6. निष्क्रमण,
7. अन्नप्राशन,
8. चूड़ाकर्म,
9. विद्यारंभ,
10. कर्णभेद,
11. यज्ञोपवीत,
12. वेदारंभ,
13. केशांत,
14. समावर्तन,
15. विवाह,
16. अन्त्येष्टि।
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7. (b) व्याख्या:-
- प्रमुख लेखक व उनकी रचनाएँ
लेखक – रचनाएँ
आर्य देव – चतुःदशक
वसुवंध – अभिधम्म कोष
नागार्जुन – शत्तसहिस्त्रका प्रज्ञा पारमिता एवं माध्यमिक सूत्र
असंग – महायान सूत्रलंकार (योगाचार संप्रदाय का प्राचीनतम ग्रंथ)
चन्द्रगोमिन – शिष्य लेख धर्मकाव्य, बौद्ध वैयाकरण
अश्वघोष – सौदरानंद (बुद्ध के जीवन से संबंधित), बुद्धचरित (बुद्ध का संपूर्ण वर्णन),वज्र सूची, सूत्रलंकार, महायान श्रद्धोपाद (महान के प्रचार हेतु), सारिपुत्र प्रकरण (नाट्य लेखन का प्रथम प्रयास)
शांतिदेव – शिक्षा समुच्चय, सूत्र समुच्चय, बोधि चर्यावतरा
8. (d) व्याख्या:-
- बराहमिहिर ने निम्न ग्रंथों की रचना की। पंचसिद्धांतिका, वृहत्संहिता, वृहद्जातक तथा लघु जातक, विवाह पटल तथा योगयात्र।
- अपने ग्रंथों में वाराहमिहिर ने निम्नांकित खगोलविद की चर्चा की है- लाट, प्रद्युम्न, जिवयानन्दी, सिंह तथा आर्यभट्ट। वराहमिहिर गुप्तकालीन ज्योतिष थे।
9. (a) व्याख्या:-
- वाजपेय यज्ञ: इसका तात्पर्य है शक्ति का पान करना। यह 17 दिनों तक चलने वाला यज्ञ था और इसे करने वाले को ‘सम्राट’ की उपाधि मिलती थी।
- अश्वमेध यज्ञ: यह तीन दिनों तक चलने वाला यज्ञ था। इसे करने वाले को ‘स्वराट की उपाधि’ मिलती थी। इसका उद्देश्य राज्य का विस्तार करना तथा प्रजा की सुख एवं समृद्धि था। इसमें 21 यूपों का विधान है।
- राजसूय यज्ञ: इस यज्ञ का वर्णन शतपथ ब्राह्मण में मिलता है। इसे करने वाले की उपाधि राजा थी। राजसूय यज्ञ के दौरान ही राजा रत्निनों के घर जाता था। जहाँ राज्याभिषेक एक आवश्यक कृत था वहीं राजसूय यज्ञ ऐच्छिक था। राजसूय यज्ञ के दौरान वरूण देवता राजा के पार्थिव शरीर में प्रवेश करते थे।
10. (d) व्याख्या:-
- मौर्यकाल की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन एवं वाणिज्य -व्यापार पर आधारित थी। इनको सम्मिलित रूप से ‘वार्ता’ कहा गया अर्थात् वृत्ति का साधन। इनमें कृषि मुख्य था।