सत्यनिष्ठा (Integrity)
सत्यनिष्ठा क्या है | What is Integrity
- सत्यनिष्ठा (Integrity) वाला व्यक्ति अपना जीवन सिद्धांतानुसार चलाता है। सत्यनिष्ठा (Integrity) वाला व्यक्ति विश्वासी होता हैं क्योंकि उसके सभी निर्णय नैतिकता पर आधारित होते हैं। यह व्यक्ति की पूर्णता का पहचान करने वाला गुण है।
- सत्यनिष्ठ व्यक्ति अपने शब्दों पर कायम रहता है और अपने वादों को सदा निभाता है। सत्यनिष्ठ व्यक्ति अपने चरित्र में दोहरापन नहीं रखता।
सत्यनिष्ठा (Integrity) का अध्ययन निम्न परिप्रेक्ष्यों के अधीन में किया जाता हैं-

सत्यनिष्ठा (Integrity) का व्यक्तिगत परिप्रेक्ष्य
- व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा का मतलब है कि व्यक्ति के विचार एवं व्यवहार में कोई अन्तर नहीं होना चाहिए। इसके तहत हमारे सोच, कर्म में कोई रिक्ति नहीं होती है।
- हमारे मस्तिष्क, वचन और शरीर में एकरूपता होनी चाहिए। सत्यनिष्ठा के अंतर्गत आदर्श, परिपाटी, मत एवं स्वभाव समरूप हो जाता है। सत्यनिष्ठ व्यक्ति कभी भी किसी दवाब में कार्य नहीं करता और हमेशा स्वविवेक के आधार पर विचार या निर्णय करता है।
व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा (Integrity) दो प्रकार के होते है-
- बौद्धिक सत्यनिष्ठा (Integrity): बौद्धिक सत्यनिष्ठा से तात्पर्य है कि व्यक्ति सदा अपने विचार में सत्यवादी रहता है। व्यक्ति अपने मानक के अनुसार अपेक्षित कार्य करता है। इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति जैसी अपेक्षा दूसरों से करता हैं वह खुद भी वैसा ही करे।
- नैतिक सत्यनिष्ठा (Integrity): इससे तात्पर्य है व्यक्ति जिस आधार पर दूसरे को सत्य या असत्य कहता है वह उस पर भी लागू होता है।
- सत्यनिष्ठा (Integrity) के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाता है और न ही इसका प्रयोग विभेदभाव पूर्वक किया जाता है। सत्यनिष्ठा का तात्पर्य यह भी है कि सत्यनिष्ठ व्यक्ति जीत और हार में एक समान रहता है।
सत्यनिष्ठा (Integrity) के स्रोत
- सत्यनिष्ठा (Integrity) वह मूल्य है जिसे हम बाहर से नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। सत्यनिष्ठा (Integrity) का स्रोत नैतिक तर्क है न कि लाभ-हानि से युक्त तर्क। जब हमें कोई निर्णय लेना होता है या जब कभी हम मानसिक रूप से कमजोर पड़ रहे होते हैं तो हमें नैतिकता का सहारा लेना होता है। जैसेः 10 लाख का रिश्वत जो लोकहित में नहीं है। यहां नैतिक तर्क प्रस्तुत किया जाता है।
सत्यनिष्ठा का सामाजिक परिप्रेक्ष्य
- इस परिप्रेक्ष्य में सत्यनिष्ठा (Integrity) से तात्पर्य है, व्यक्ति सामाजिक नियम-कानून या मूल्यों के अनुसार अपना जीवन सतत् निर्वहन करता है।
सत्यनिष्ठा (Integrity) का व्यावसायिक परिप्रेक्ष्य
- सभी व्यवसायों में सत्यनिष्ठा अलग-अलग परिपेक्ष्य में तय होती है। अगर व्यवसायी सत्यनिष्ठ है तो वह व्यावसायिक समझौतें का पालन करेगा। व्यावसायिक सत्यनिष्ठा कहती है कि सत्यनिष्ठ व्यवसायी नैतिक-संहिता का पालन करता है।
लोक सेवा में सत्यनिष्ठा (Integrity):
- द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सत्यनिष्ठा का तात्पर्य है- लोक सेवकों को सदैव जनहित में कार्य करना चाहिए। जब वे निर्णय लेते है तो उस वक्त उन्हें अन्य बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए केवल जनहित का ध्यान रखना चाहिए।
- लोकसेवकों को अपने दायित्व का निर्वहन जिम्मेदारी पूर्वक करना चाहिए। उन्हें अपने कार्यालय के अन्य सदस्यों के साथ विश्वसनीयता बनाकर रखना चाहिए। लोकसेवकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग उपर्युक्त तरीके से हो सके।
- लोक सेवक जब आम जनता के साथ संबंध स्थापित करता है, उस समय उसे दक्षतापूर्वक एवं शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। कानून के दायरे में रहकर सूचनाओं का आसान तरीके से आदान-प्रदान करना चाहिए। कानून का आवश्यक रूप से पालन हो एवं प्रशासन में न्याय व पारदर्शी व्यवस्था स्पष्ट होनी चाहिए।
सत्यनिष्ठा (Integrity) एवं दक्षता:
- सत्यनिष्ठा से आवश्यक रूप से दक्षता आती है। साधारणतया, सत्यनिष्ठा की कमी भ्रष्टाचार का मार्ग खोल देती है।
सत्यनिष्ठा (Integrity) और भ्रष्टाचार:
- भौतिक वस्तुओं के प्राप्ति की लालसा, न्यूनतम प्रयास से अधिक लाभ की चाह के कारण लोग सत्यनिष्ठा के साथ समझौता कर रहे हैं।
(सत्यनिष्ठा क्या है | What is Integrity)
लोक सेवा में वस्तुनिष्ठता
वस्तुनिष्ठता:
- यह वो गुण है जिसके कारण व्यक्ति सदा सत्य की ओर अग्रसर रहता है, न्यायोचित कार्यों में संग्लन रहता है, ऐसे व्यक्ति पर किसी भी व्यक्तित्व का प्रभाव नहीं पड़ता और सदा पूर्वाग्रह से मुक्त निर्णय लेता है और व्यक्तिगत भावनाओं के अधीन होकर कार्य नहीं करता है।
लोक उपक्रम में वस्तुनिष्ठता क्यों
- इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि आवश्यक वस्तुओं एवं सेवा सभी को समानता से प्राप्त हो।
- उन वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए जो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- उन वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने के लिए जो निजी क्षेत्र के द्वारा प्रदान नहीं किए जा सकते।
लोकसेवकों केा अवश्य करना चाहिए
- मंत्री को उपयुक्त सलाह एवं सूचना देना और ये सलाह व सूचना साक्ष्य एवं नीति पर आधारित होना चाहिए। किसी विषय पर मंत्री को कई विकल्प बताने चाहिए।
- मामले के गुण के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए।
- जहां विशेषज्ञ के सलाह की आवश्यकता है, वहां अवश्य ही विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
लोकसेवकों को नहीं करना चाहिए
- कोई निर्णय लेते समय या सलाह देते समय अनावश्यक तथ्यों को नजरअंदाज करना।
- एक बार निर्णीत विषय को लागू करने में विलंब नहीं करना चाहिए।
- लोक सेवकों को निष्पक्ष होना चाहिए।
- लोक सेवकों को किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए।