राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security)
- हाल ही में संपन्न गृह मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय बैठक में गृहमंत्री द्वारा राज्यों के डायरेक्टर जनरल आफ पुलिस को यह निर्देशित किया गया कि वे आतंकवाद और अन्य सुरक्षा चुनौतियों से जुड़ी खुफिया जानकारी को मल्टी एजेंसी सेंटर के साथ साझा किया।

मुख्य बिंदु
- ख़ुफ़िया सुचना तंत्र से आशय मजबूत आसूचना तंत्र से हैं, जिसके बिना राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) या आंतरिक सुरक्षा की कल्पना संभव नहीं है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे भारत के इंटेलिजेंस ब्यूरो के तहत काम करने वाले कामन काउंटर टेरोरिज्म ग्रिड अर्थात मल्टी एजेंसी सेंटर के साथ अधिक से अधिक खुफिया जानकारी साझा करे।
- वर्तमान में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रा), सशस्त्र बलों और राज्य पुलिस सहित 28 संगठन मल्टी एजेंसी सेंटर को रियल टाइम आधार पर इंटेलिजेंस इनपुट्स दे रहे हैं और अब गृह मंत्रालय ने भी इस तंत्र को और मजबूत बनाने का प्रयास शुरू कर दिया है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के दृष्टिकोण से यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इस फैसले से सुरक्षा के मुद्दों पर संघीय समन्वय की संभावना की तलाश की जा रही है।
- लोक व्यवस्था राज्य सूची का विषय है और वर्तमान में भारत के कुछ राज्य वैचारिक, राजनीतिक, दलगत और अन्य स्तरों पर केंद्र सरकार से मतभेद की स्थिति में है।
- ऐसी परिस्थिति में ऐसे राज्यों में आसन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की रोकथाम के लिए उनको सुरक्षा के प्रकरण पर सहयोगी संघवाद की भावना से जोड़ने की अति आवश्यकता है।
- हाल के समय में जम्मू कश्मीर, केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में जिस तरह से इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन से जुड़े आतंकी सक्रिय हो रहे हैं, उसे देखते हुए काउंटर टेररिज्म इंटेलिजेंस ग्रिड को राज्यों के सहयोग से अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
- आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों को देखते हुए पूर्वोत्तर भारत में भी मल्टी एजेंसी सेंटर की भूमिका को अधिक बढ़ाने की आवश्यकता से इंकार नही किया जा सकता है।
- इस क्षेत्र में उग्रवादी संगठनों द्वारा जिस तरह से और नार्को व साइबर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह सुरक्षा एजेंसियों एवं सशस्त्र बलों हेतु गंभीर चिंता का विषय है।
- वर्तमान समय में एक राज्य की सीमा से दूसरे राज्य में आतंकी व उग्रवादी अपनी पहुंच किस प्रकार बना रहे हैं, उनकी फंडिंग के नए स्रोत क्या हैं, आतंकियों की भर्ती के नए तरीके कौन से सामने आ रहे हैं, इस उद्देश्य के लिए किन वर्गों या समूहों को लक्षित समूह के रूप में आतंकी संगठन देख रहे हैं, उनके कौन कौन से नए गठजोड़ विकसित हो रहे हैं।
- इन सभी बातों की रियल टाइम पर मिलने वाली खुफिया सूचना ही भारत के विधि प्रवर्तनकारी निकायों, सुरक्षा बलों को इस बात के लिए सक्षम बनाएगी कि वे आतंकी अभियानों के खिलाफ समय रहते जरूरी कार्रवाई कर सकें।
- अभी कुछ समय पूर्व ही भारत के आसूचना अभिकरणों को यह खुफिया जानकारी प्राप्त हुए कि पाकिस्तान महिला आतंकियों और तस्करों को सीमा पार कराने की कोशिश कर रहा है।
- उसके द्वारा ऐसी महिलाओं आतंकियों का प्रयोग जाली मुद्रा की तस्करी में किया जा रहा है। ऐसा भी माना जा रहा है कि पाकिस्तान अब महिलाओं को ढाल बनाकर आतंकियों को बचाने की कोशिश कर रहा है।
- यह सूचना बीएसएफ को समय पर उपलब्ध कराने से बीते माह जम्मू-कश्मीर में उसने एक महिला घुसपैठिए को मार गिराया।
मल्टी एजेंसी सेंटर : मैक
- मैक का गठन वर्ष 2001 में आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु किया गया था। शुरूआत में इसका कार्य कारगिल युद्ध के बाद आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित प्राप्त सूचना को दैनिक आधार पर साझा करना था।
- कालांतर में इसमें विभिन्न राज्यों की सहायक मल्टी एजेंसी सेंटरों में आसूचना या खूफिया जानकारी के प्रयासों को साझा करने के लिए विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल किए गए।
- यह देश के विभिन्न आसूचना अभिकरणों जैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, वित्तीय खुफिया इकाई, राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के आसूचना अभिकरणों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सहित कई एजेंसियों के साथ आसूचना इनपुट साझा करता है।
- साथ ही ये अभिकरण भी मैक के साथ आतंकवाद और देश की आंतरिक सुरक्षा से संबंधित सूचना को साझा करते है। विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित एसमैक (सब्सिडियरी मल्टी एजेंसी सेंटर्स) के साथ भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगातार और रिवल टाइम में सूचना साझा की जाती है।
नैटग्रिड :
- हाल में देश में अपराधियों पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु क्राइम मल्टी एजेंसी सेंटर (सी-मैक) प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है। वर्ष 2006 में मुंबई हमलों के बाद से ही नैटग्रिड जैसे किसी साधन की जरूरत भी महसूस की जा रही थी।
- अतः आतंकवादियों को लेकर सूचनाओं का एक सुरक्षित डाटाबेस स्थापित करने से जुड़ी अवधारणा के साथ भारत सरकार द्वारा यह भी संकेत दिया गया है कि नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नैटग्रिड) को भी जल्द ही कार्यरूप प्रदान कर दिया जाएगा।
- इसके द्वारा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों, आतंकियों, माओवादियों, नक्सलियों, तस्करों और अन्य अपराधियों की सभी संदिग्ध गतिविधियों की रियल टाइम स्तर पर निगरानी संभव हो सकेगी।
- यह नैटग्रिड आतंकवाद, आर्थिक अपराध आदि घटनाओं की जानकारी को सहज और सुरक्षित डाटाबेस के रूप में रख सकने में सक्षम होगा। इसके जरिये संदिग्धों को आसानी से रियल टाइम ट्रैक किया जा सकता है और आतंकी हमलों को रोका जा सकता है।
- आरंभ में 10 यूजर एजेंसी और 21 सेवा प्रदाताओं को नैटग्रिड से जोड़े जाने का प्लान है और बाद के चरणों में करीब 950 संगठनों को इससे जोड़ा जाएगा। इन डाटा सोर्सेज में इमिग्रेशन, वित्तीय लेनदेन,संचार आदि शामिल होंगे।
- आयकर विभाग नेटग्रिड के तहत इन तमाम जांच और खुफिया एजेंसियों के साथ पैन और बैंक के डिटेल्स साझा करेगा। गृह मंत्रालय के अनुसार इससे इमिग्रेशन, बैंकिंग, हवाई और रेल यात्रा जैसी सुविधाएँ और अधिक सुरक्षित हो सकेगी।
- इसके अतिरिक्त सेंट्रल मानिटरिंग सिस्टम (सीएमएस) और नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (नेत्र) दो अन्य सर्विलांस सिस्टम भी हैं जिनके जरिये राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की निगरानी की जा रही है।
निष्कर्ष
- ऐसे निगरानी तंत्रों के सक्रिय होने पर जहां राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के मुद्दे पर बड़े लाभ मिल सकते हैं, वहीं दूसरी ओर इन पर निजता के अधिकार के हनन, संघीय ढांचे के तहत राज्यों के अधिकारों के हनन का आरोप भी लगाया जा सकता है।
- गृह मंत्रालय का इस मुद्दे पर दृष्टिकोण यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। किन्तु एक लोकतांत्रिक देश होने के नाते हमे इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए की राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) की आड़ में नागरिकों के मूलाधिकारों से किसी भी परिस्थिति में मुंह नहीं फेरा जा सकता है।
- आज जरूरत इस बात की है कि जिस प्रकार भारत सरकार ने एनआइए को धीरे धीर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर संगठित स्तर पर मजबूत बनाया और आतंकवाद से निपटने के लिए उसके कार्यक्षेत्र और अधिकार क्षेत्र दोनों को बढ़ा दिया तथा कुछ राज्यों के इस मुद्दे पर विरोध का शमन करते हुए एनआइए की वैधता को संघीय स्तर पर सिद्ध कराने में सफलता पायी, ठीक उसी तरह मैक को भी आसूचना तंत्र की मजबूती के लिए सशक्त किया जाना चाहिए।
- इस कड़ी में भारत सरकार को कोस्टल इंटेलिजेंस, वाइल्ड लाइफ इंटेलिजेंस, इकोनामिक इंटेलिजेंस तंत्र को विशेष मजबूती देनी की जरूरत है, ताकि सही समय पर अराजक तत्वों से निपटना संभव हो सके।
- अतः राष्ट्र की सुरक्षा के साथ लोकतांत्रिक मूल्य, संघीय भावना, मूलाधिकार इत्यादि में बेहतर सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास होना चाहिए, जिससे कि राष्ट्र अपने समग्र रूप में समावेशी विकास को अग्रसर हो सके।