मौर्योत्तर कालीन अर्थव्यवस्था (Post-Mauryan Economy) मौर्योत्तरकालीन प्रशासन की प्रमुख विशेषताएं मौर्योत्तर काल में विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखने के लिए राजतंत्र में देवी तत्वों का समावेश किया गया। अब राजाओं की तुलना देवताओं से की जाने लगी। सातवाहन शासकों ने राजा के पद का दैवीयकरण किया। गौतमीपुत्र शातकर्णी की तुलना कृष्ण बलराम, भीम, अर्जुन से की […]
मौर्योत्तर काल | Post-Maurya Period
मौर्योत्तर काल (Post-Maurya Period) मौर्योत्तर काल (Post-Maurya Period) लगभग 200 बी.सी.ई. से 300 सी.ई. के बीच के काल को इतिहास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना जाता है और इसे मौर्योत्तर काल (Post-Maurya Period) के रूप में जाना जाता है। सबसे पहले तो उत्तर भारत में उत्तर-पश्चिम दिशा से इतने आक्रमण हुए कि राजनीतिक सत्ता मगध […]
मौर्य साम्राज्य का इतिहास | History of Mauryan Empire
मौर्य साम्राज्य (Mauryan Empire) मौर्य साम्राज्य का उदय मगध के विकास के साथ-साथ मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य (लगभग 321 बी.सी.ई.) का शासन पश्चिमोत्तर में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान तक फैला था। उनके पौत्र अशोक ने जिन्हें आरंभिक भारत का सर्वप्रसिद्ध शासक माना जा सकता है, कलिग (आधुनिक उड़ीसा) पर […]
6वीं सदी बी.सी.ई. में धार्मिक आंदोलन | Religious Movement
6वीं सदी बी.सी.ई. में धार्मिक आंदोलन 6वीं सदी बी.सी.ई. भारत में धार्मिक आंदोलन उत्तर भारत की मध्य गंगा घाटी में 6वीं सदी बी.सी.ई. में धार्मिक आंदोलन का उदय हुआ। अनेक मत तथा दर्शनों के प्रादुर्भाव ने बौद्धिक आंदोलन का रूप ग्रहण कर लिया। 6वीं सदी बी.सी.ई. में धार्मिक आंदोलन की इन बौद्धिक गतिविधियों का केन्द्र […]
ऋग्वैदिक काल | Rigvedic Period
ऋग्वैदिक काल (Rigvedic Period) नामकरणः- ऋग्वैदिक काल की जानकारी का प्रमुख स्रोत ऋग्वेद है। अतः इस काल को ऋग्वैदिक काल कहा जाता है। आर्य शब्द का अर्थ- आर्य शब्द भाषायी समूह का व्यंजक था। किसी धर्म या नस्ल का नहीं। वैदिक सभ्यता भी आद्य ऐतिहासिक युग से संबंधित थी। ऋग्वैदिक काल के स्रोत ऋग्वैदिक काल […]