शैल एवं खनिज हमारी पृथ्वी पर मिलने वाली ठोस परत ‘स्थलमंडल’ है जिसकी अधिकतम मोटाई 100 किमी. है। स्थलमंडल चट्टानों (शैलों) से निर्मित है और चट्टानें खनिजों से बनी हैं। हम जिन चट्टानों द्वारा भू-पृष्ठ का अध्ययन करते हैं वे भूतल पर मिलती हैं या गहरी खानों से निकाली जाती हैं या महासागरीय अधोभाग के वेधन […]
भूकंप | Earthquake
भूकंप जब किसी भूखंड में आंतरिक उथल-पुथल होने पर धरातल काँप उठे, तब उसका यह काँपना (उसमें कंपन उत्पन्न होना) ‘भूकम्प’ कहलाता है। भूकंप में कंपन की तरंगे उत्पन्न होती हैं जो अपने उद्गार-केंद्र से चारों ओर चली हैं। ये तंरगें जब भूपटल की चट्टानों से होकर गुजरती हैं तो धरातल कम्पन करने लगता है। […]
ज्वालामुखी | Volcano
ज्वालामुखी भू-पृष्ठ का वह छिद्र, दरार या पतला मार्ग जिससे भू-पृष्ठ के नीचे की पिघली चट्टान धरातल (पृथ्वी की सतह) पर आ जाती है, ज्वालामुखी कहलाता है। पृथ्वी के आंतरिक भाग में चट्टानों के दबाव के कारण या रेडियोधर्मी खनिजों (यूरेनियम, थोरियम आदि) के विखंडित होने के कारण ताप में वृद्धि होती रहती है। इस […]
भूसंचलन | Earth Movement
भूसंचलन/भूगर्भिक प्रक्रियाएँ भूसंचलन क्या है? भूसंचलन से पृथ्वी ने जब ठोस धरातल का रूप लिया तो इस पर न पर्वत थे और न पठार या मैदान। भूसंचलन द्वारा कांलातर में यहाँ अरावली जैसे पर्वतों का निर्माण हुआ, विंध्य जैसी श्रृंखलाएँ उत्पन्न हुई और कितनी ही भूआकृतियाँ बनती गई। भूगर्भिक इतिहास इस बात का साक्षी है […]
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत | Continental Drift Theory
वेगनर का महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत आज भी पृथ्वी पर जल और स्थल का जैसा वितरण दृष्टिगोचर होता है, क्या लाखों-करोड़ों वर्ष पूर्व भी ऐसा ही था? इस पर विचार करते हुए वैज्ञानिकों ने सदियों से विचार किया है और महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत से सम्बंधित कितने ही नए सिद्धांतों को जन्म दिया है। […]