ऊर्जा के स्रोत (Sources of Energy) जीवाश्मी ईंधन प्राचीन काल में ऊष्मीय ऊर्जा का सबसे अधिक सामान्य स्रोत लकड़ी था। कुछ सीमित क्रियाकलापों के लिए पवन तथा बहते जल की ऊर्जा का भी उपयोग किया जाता था। ऊर्जा के स्रोत के रूप में कोयले के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया। बढ़ते हुए उद्योगों […]
मुगलकालीन प्रशासन | Mughal Administration
मुगलकालीन प्रशासन (Mughal Administration) केन्द्रीय प्रशासन अबुल फजल ने ‘फर्र-ए-इजदी’ के अनुसार मुगलकालीन प्रशासन में राजाधिकार एक संस्था थी न कि व्यक्ति, उनका बादशाह धरती पर ईश्वर का प्रतिनिधि था। मुगलकालीन प्रशासन में खलीफा की सत्ता का निषेध किया तथा प्रत्येक संस्था सम्राट के अधीन थी और बादशाह पूर्ण स्वायत्त था। Also Read: मुगल साम्राज्य […]
मौर्योत्तर कालीन अर्थव्यवस्था | Post-Mauryan Economy
मौर्योत्तर कालीन अर्थव्यवस्था (Post-Mauryan Economy) मौर्योत्तरकालीन प्रशासन की प्रमुख विशेषताएं मौर्योत्तर काल में विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखने के लिए राजतंत्र में देवी तत्वों का समावेश किया गया। अब राजाओं की तुलना देवताओं से की जाने लगी। सातवाहन शासकों ने राजा के पद का दैवीयकरण किया। गौतमीपुत्र शातकर्णी की तुलना कृष्ण बलराम, भीम, अर्जुन से की […]
मौर्य साम्राज्य का इतिहास | History of Mauryan Empire
मौर्य साम्राज्य (Mauryan Empire) मौर्य साम्राज्य का उदय मगध के विकास के साथ-साथ मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य (लगभग 321 बी.सी.ई.) का शासन पश्चिमोत्तर में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान तक फैला था। उनके पौत्र अशोक ने जिन्हें आरंभिक भारत का सर्वप्रसिद्ध शासक माना जा सकता है, कलिग (आधुनिक उड़ीसा) पर […]
जैन धर्म का इतिहास | History of Jainism
जैन धर्म (Jainism) जैन धर्म के तीर्थंकर जैन धर्म में तीर्थ का अर्थ उन नियमों से है जो मनुष्य को भव सागर के पार उतार दो। कर का अर्थ करने वाला या बनाने वाला है। जैन विश्वास करते हैं कि महावीर स्वामी एक नये धर्म के संस्थापक नहीं थे, अपितु वे 24 तीर्थकरों की दीर्घ परम्परा […]