द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ जर्नल रिपोर्ट (The Lancet Child and Adolescent Health Journal Report)
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में ‘द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी से भारत में 19 लाख बच्चे अनाथ हुए हैं।

मुख्य बिंदु :-
- हालाँकि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कोरोना महामारी से देश में 19 लाख बच्चों के अनाथ होने की लैंसेट पत्रिका की द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ जर्नल रिपोर्ट को आधारहीन और गलत बताते हुए स्पष्ट किया गया है कि पत्रिका की यह रिपोर्ट पूरी तरह से असत्य और आधारहीन है।
कोरोना से अनाथ होने वाले बच्चों की वास्तविक संख्या
- मंत्रालय द्वारा 24 फरवरी को प्रकाशित अध्ययन को खारिज करते हुए उसके दावे पर हैरानी जताई गई है। मंत्रालय के अनुसार ऐसे बच्चों की वास्तविक संख्या 53 लाख है।
- मंत्रालय के अनुसार यह नागरिकों के बीच दहशत पैदा करने की शातिराना चाल है। 15 फरवरी तक ऐसे बच्चों की संख्या 1,53,827 थी जिनके माता या पिता या प्राथमिक देखभालकर्ता का निधन हो गया है या उन्हें छोड़ दिया गया है या वे अनाथ हो गए हैं।
- यह वह संख्या है जो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के बाल स्वराज पोर्टल पर जिलाधिकारियों द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों और सुप्रीम कोर्ट में राज्यों द्वारा दाखिल हलफनामे पर आधारित है।
- ऐसे कुल बच्चों में से 1,42,949 बच्चों के माता या पिता में से किसी एक की मौत हुई है और 10,386 बच्चों के माता और पिता दोनों का निधन हो गया है, जबकी परित्यक्त बच्चों की संख्या 492 है।
- गौरतलब है कि इस पत्रिका ने भारत में कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के की सरकार की नीति को “आत्म-उकसावे वाली राष्ट्रीय तबाही” की संज्ञा दी थी।
- अपने संपादकीय में पीएम की आलोचना करते हुए लिखा था की कोरोना काल जैसे मुश्किल वक्त में भी भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का ध्यान ट्विटर पर अपनी आलोचना को दबाने पर अधिक है और कोविड-19 महामारी पर कंट्रोल करने में कम है।
- ऐसे मुश्किल वक्त में मोदी की अपनी आलोचना और खुली बहस को दबाने की कोशिश माफी के काबिल नहीं है।