उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
गोरखपुर में खुलेगी रीजनल फिल्म सिटी
- 28 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर राज्य के नोएडा में फिल्म सिटी के साथ ही अब पूर्वांचल के गोरखपुर में रीजनल फिल्मी सिटी खोलने की तैयारी है।
- जानकारी के अनुसार मुंबई के कारोबारी अतुल गर्ग ने रीजनल फिल्म सिटी के लिये प्रदेश सरकार के साथ एमओयू किया है। एमओयू के तहत कारोबारी अतुल गर्ग 500 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे।
- भोजपुरी भाषा की सबसे महंगी फिल्म के फिल्मांकन के बाद ही अब गोरखपुर में रीजनल फिल्म सिटी बनाने का फैसला लिया गया है।
- गोरखपुर में रिजनल फिल्मी सिटी खुलने के बाद पूर्वांचल की प्रतिभाओं को बाहर नहीं जाना होगा। बता दें कि गोरखपुर क्षेत्र भोजपुरी एवं नेपाली सिनेमा का हब बन चुका है।
- 500 करोड़ रुपए के निवेश से 2000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार मिलेगा। बेहतर कनेक्टिविटी के लिहाज से गोरखपुर को फिल्म सिटी के लिये बेहतर विकल्प बताया जा रहा है।
- अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री दो हज़ार करोड़ रुपए से ऊपर का उद्योग बन चुकी है। भोजपुरी के साथ ही आने वाले दिनों में प्रदेश में अवधी, बुंदेलखंडी, ब्रज व अन्य क्षेत्रीय सिनेमा के उभरने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश बजट 2023-2024 | U.P Budget 2023-2024
उत्तर प्रदेश में कूड़ा उठाने का डोर टू डोर अभियान
- 27 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) की निदेशक नेहा शर्मा ने बताया कि राज्य में शहरी क्षेत्रों को साफ रखने के लिये नगर विकास विभाग 4 से 31 मार्च तक स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) में ‘डोर टू डोर’ अभियान का तीसरा चरण चलाएगा। इसमें गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग देना होगा।
- मिशन निदेशक नेहा शर्मा ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) में ‘डोर टू डोर’ अभियान के तीसरे चरण में गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग न करने व गंदगी फैलाने वालों से जुर्माना वसूला जाएगा। यह 50 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक होगा।
- 1 फरवरी से 100 प्रति शत डोर-टू-डोर कलेक्शन और कूड़े को अलग-अलग करने की जानकारी देने का अभियान चलाया गया।
- इस अभियान के तीन चरण हैं- पहला चरण प्रार्थना व दूसरा सहमति था। दूसरा चरण 3 मार्च को समाप्त होगा। तीसरे व अंतिम चरण में कूड़े को अलग-अलग न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी।
- इसमें स्पष्ट किया गया है कि निकाय परिधि में स्थित गेटेड कालोनी, आरडब्लयूए कालोनी व बल्क वेस्ट निकालने वालों का चालान किया जाएगा। लोगों को पोस्टर, बैनर आदि के माध्यम से चालान के बारे में सचेत किया जाएगा तथा निकाय अधिकारी रोजाना निरीक्षण कर इसका पालन न करने वालों का चालान करेंगे।
- 6 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को लेकर विशेष रूप से निर्देश जारी किए हैं। यहाँ जुर्माने की राशि अधिक रहने वाली है। सबसे कम जुर्माना नगर पंचायतों में लगेगा। यहाँ एक तो आबादी कम होती है और साथ में संसाधनों का अभाव होताहै। लोगों को जागरूक करने के लिये यहाँ तीन चरण में अभियान भी चलेगा।
- नगर निगम ने डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था के लिये निजी कंपनी स्वच्छता कारपोरेशन के साथ करार किया है तथा कंपनी के कामकाज पर नज़र रखने के लिये नगर निगम फीडबैक संस्था के साथ करार किया गयाहै।
- कंपनी को साफ निर्देश दिया गया है कि घरों से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करके लेनाहै। अलग-अलग कंटेनरों में ही कचरा ट्रीटमेंट प्लांट तक जाएगा। इसके साथ ही नगर निगम ने चमड़े की कतरन, पेठे का वेस्ट और गोबर के लिये अलग-अलग गाड़ियाँ चला रखी हैं।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
सबसे ज्यादा समय तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने वाले बने योगी आदित्यनाथ
- 1 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार सबसे ज्यादा समय तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करने का नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। योगी आदित्यनाथ ने कार्यालय में 5 साल और 347 दिन पूरे किये और कॉन्ग्रेस के डॉ. संपूर्णानंद को पीछे छोड़ दिया, जो 1954 से 1960 तक 5 साल और 345 दिनों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे।
- योगी आदित्यनाथ ने पहली बार 19 मार्च, 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इसके बाद दूसरी बार उन्होंने 25 मार्च, 2022 को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसके पहले वे गोरखपुर लोक सभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे।
- सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार 5 साल 4 दिन तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। बसपा प्रमुख मायावती लगातार 4 साल 307 दिन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं। मायावती चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी हैं। मुलायम सिंह यादव लगातार 3 साल 257 दिन तक मुख्यमंत्री रहे थे।
- गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में ऐसे नेताओं में से हैं जिनके नेतृत्वमें किसी एक पार्टी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में फिर से बीजेपी की लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार सत्तामें आई और वे दोबारा मुख्यमंत्री बने।
- योगी आदित्यनाथ बीजेपी के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो लगातार पाँच साल तक उत्तर प्रदेश की सत्ता सँभाल चुके हैं। इसके पहले कोई भी बीजेपी नेता लगातार पाँच साल तक उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं रहा है। योगी आदित्यनाथ के अलावा गोविंद बल्लभपंत, मायावती और अखिलेश यादव ही लगातार पाँच साल तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। दूसरा कोई नेता पाँच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया था।
- कॉन्ग्रेस के नारायण दत्त तिवारी के बाद योगी आदित्यनाथ दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनके नेतृत्व में किसी एक पार्टी ने प्रदेश में दूसरी बार सरकार बनाई है। 37 साल पहले नारायण दत्त तिवारी ने दोबारा अपनी सरकार बनाई थी।
उत्तर प्रदेश के चार और ज़िलों में गोंड जाति को मिला एसटी का दर्जा
- 2 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बताया कि केंद्र द्वारा अधिसूचना जारी किये जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के चार और ज़िलों संत कबीरनगर, कुशीनगर, चंदौली और भदोही में गोंड जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देते हुए प्रमाण पत्र जारी करने का फैसला किया है।
- समाज कल्याण के प्रमुख सचिव डा. हरिओम ने इस संबंध में शासनादेश जारी करते हुए संबंधित ज़िलों के ज़िलाधिकारियों को निर्देश भेज दिया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा संविधान (अनुसूचित जाति) व (अनुसूचित जनजातियाँ) उत्तर प्रदेश के क्रम में (अनुसूचित जातियाँ एवं अनुसूचित जनजातियाँ) आदेश द्वितीय संशोधन को मंजूरी दे दी है।
- इसमें उत्तर प्रदेश में गोंड (धुरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड) को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर दिया है। इसके आधार पर मिर्जापुर व सोनभद्र के साथ अब चार और ज़िलों संत कबीरनगर, कुशीनगर, चंदौली व भदोही में निवास करने वाली इन जातियों को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी बनेगा नया विधान भवन
- 3 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि देश के नए संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) की तर्ज पर उत्तर प्रदेश को भी जल्द ही नए विधान भवन की सौगात मिलेगी। 18वीं विधान सभा के सदस्यों को नई विधान सभा में बैठने का मौका मिलेगा।
- विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि वर्ष 2027 के पहले नये विधान भवन का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा जाएगा। इसे पूरी तरह ईको फ्रेंडली, भूकंपरोधी और आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
- मौजूदा भवन के काफी पुराने हो जाने, बढ़ती जरूरतों के मुताबिक जगह कम होने, आसपास भारी यातायात का दबाव के चलते अन्यत्र नया विधान भवन बनाने की तैयारी है। इसके लिये प्रारंभिक तौर पर 50 करोड़ रुपए बजट में रखे गए हैं।
- उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि 18वीं विधान सभा का कम से कम एक सत्र का आयोजन नए विधान भवन में हो। नए विधान भवन का निर्माण बढ़ती ज़रूरतों के अनुसार किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि मौजूदा विधान भवन करीब 100 साल पुराना है। इसकी नींव 15 दिसंबर, 1922 को तत्कालीन गवर्नर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। यह भवन करीब छह साल में बनकर तैयार हुआ था तथा 21 फरवरी, 1928 को इसका उद्घाटन किया गया था।
- मौजूदा विधान भवन का निर्माण कोलकाता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी द्वारा किया गया था। इसके मुख्य आर्किटेक्ट सर स्विनोन जैकब और हीरा सिंह थे। उस समय विधान भवन के निर्माण के लिये 21 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे।
- उत्तर प्रदेश का मौजूदा विधान भवन यूरोपियन और अवधी निर्माण की मिश्रित शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें फिलहाल 403 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है।
- जुलाई 1935 में विधान परिषद की बैठकों और कार्यालय कक्षों के लिये एक अलग चेंबर का प्रस्ताव किया गया था। एक्सटेंशन भवन का निर्माण मुख्य वास्तुविद ए एम मार्टीमंर द्वारा कराया गया था। इसे लोक निर्माण विभाग की देखरेख में नवंबर 1937 में पूरा किया गया था। विधान परिषद में फिलहाल 100 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।
- ज्ञातव्य है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में दिल्ली में नए संसद भवन के साथ ही केंद्र सरकार के अन्य कार्यालयों का निर्माण किया जा रहा है। माना जा रहा है कि ये नया संसद भवन भव्यता के साथ ही औपनिवेशिक काल के स्मारकों को टक्कर देने वाली स्थापत्य कला का शानदार उदाहरण बनकर उभरेगा।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
उत्तर प्रदेश के बरेली मंडल में बनेंगे 5 ग्रामीण लर्निंग सेंटर
- 5 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग के डीडी महेंद्र सिंह ने बताया कि प्रदेश के बरेली मंडल में पाँच लर्निंग सेंटर बनाए जाएंगे, जिनमें ग्रामीणों को गांव के स्तर पर ट्रेनिंग दी जाएंगी।
- पंचायती राज विभाग के डीडी महेंद्र सिंह ने बताया कि ग्रामीणों को आर्थिक स्तर पर मजबूत करने के लिये बरेली मंडल के चारों ज़िलों के पाँच मॉडल पंचायत घरों को लर्निंग सेंटर बनाया जा रहा है।
- इसके अंतर्गत बरेली, पीलीभीत और बदायूं में एक-एक और शाहजहाँपुर की दो ग्राम पंचायतों में लर्निंग सेंटर बनाए जाएंगे। लर्निंग सेंटर पर ग्रामीणों को खेती-किसानी से लेकर उद्यमी बनने तक की बारीकियाँ सिखाई जाएंगी।
- शासन ने पंचायती राज विभाग को लर्निंग सेंटर बनाने के लिये 25 लाख का बजट जारी कर दिया है। एक सेंटर को विकसित करने में पाँच लाख की रकम खर्च होगी। प्रोजेक्टर समेत ट्रेनिंग के लिये तमाम ज़रूरी उपकरण मुहैया कराए जाएंगे।
- महेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार गाँव स्तर पर विकास की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू कराने के प्लान पर अमल करा रही है। इसमें ग्रामीणों की भागीदारी तय की जा रही है। गांव के लोगों को सरकार की योजनाओं की जानकारी के साथ उनका फायदा लेने का तरीका समझाया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि ऐसी ग्राम पंचायतों को लर्निंग सेंटर के लिये चुना गया, जहाँ पंचायत भवन और सामुदायिक केंद्र की बिल्डिंग अच्छी थी। पंचायत घर में कंप्यूटर, इंटरनेट, बिजली और बाउंड्रीवाल बनी थी। स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक और जूनियर विद्यालय, आंगनबाड़ी सेंटर मौजूद थे।
पिछड़ों के आरक्षण को लेकर गठित आयोग ने मुख्यमंत्री को सौंपी सर्वे रिपोर्ट
- 9 मार्च, 2023 को निकाय चुनाव में पिछड़ों का आरक्षण तय करने के लिये गठित उप्र राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंप दी।
- विदित है कि निकाय चुनाव के लिये नगर विकास विभाग द्वारा जारी आरक्षण सूची पर आपत्ति जताते हुए लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस आधार पर हाईकोर्ट ने बिना आरक्षण के ही चुनाव कराने के निर्देश दिये थे।
- इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आयोग का गठन करके 31 मार्च तक ज़िलों का सर्वे कराके रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिये थे, लेकिन यह रिपोर्ट तय समय-सीमा से करीब 22 दिन पहले ही सरकार को सौंप दी गई है। 350 पेज की इस रिपोर्ट को 2 महीने 10 दिन में तैयार किया गया है।
- गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 28 दिसंबर, 2022 को हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रामौतार सिंह की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय आयोग का गठन किया था।
- गठन के बाद आयोग ने प्रदेश के सभी 75 ज़िलों में पिछड़ों की आबादी का सर्वे कराने के साथ ही रैपिड सर्वे में दिखाए गए पिछड़ी जाति के आँकड़ों, पूर्व में शासन द्वारा जारी आरक्षण सूची, चक्रानुक्रम प्रक्रिया आदि का परीक्षण किया।
- आयोग ने ज़िले में भ्रमण के दौरान चक्रानुक्रम आरक्षण और रैपिड सर्वे प्रक्रिया में मिली खामियों एवं उन्हें दूर करने के लिये सुझाए गए उपायों के बारे में भी मुख्यमंत्री को जानकारी दी।
- आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद अब इसे कैबिनेट में मंज़ूरी दी जाएगी। इसके बाद रिपोर्ट की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देते हुए उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव कराने की अनुमति मांगी जाएगी।
- आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण में बड़ा उलट-फेर होगा। नगर विकास विभाग ट्रिपल टेस्ट के आधार पर मेयर व अध्यक्ष की सीटों का नए सिरे से आरक्षण करेगा। अनारक्षित कई सीटें ओबीसी के खाते में जा सकती हैं।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
उत्तर प्रदेश की पहली खेल नीति- 2023
- 10 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों को तथा खेल संस्कृति विकसित करने हेतु राज्य की पहली खेल नीति- 2023 को हरी झंडी दे दी।
- नई खेल नीति में खिलाड़ियों की शारीरिक दक्षता से लेकर उनकी ट्रेनिंग तक का खास ख्याल रखा गया है। इसके साथ ही नए राज्य भारतीय खेल प्राधिकरण की तर्ज़ पर ‘राज्य खेल प्राधिकरण’ का गठन भी किया जाएगा तथा निजी अकादमियों और स्कूल-कॉलेजों को खेलों से जोड़ा जाएगा।
- इसके अलावा इस नीति के तहत हर विद्यालय में 40 मिनट का समय खेल, शारीरिक शिक्षा या योग के लिये निर्धारित किया जाएगा। राज्य में पीपीपी के तहत अलग-अलग खेलों के 14 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किये जाएंगे तथा राज्य में पाँच हाई परफारमेंस सेंटर स्थापित किये जाएंगे।
- प्रदेश के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि नई नीति में विभिन्न खेल एसोसिएशंस व खेल अकादमियों को आर्थिक मदद की जाएगी। आर्थिक रूप से कमज़ोर अकादमियों और खेल एसोसिएशन को इसका फायदा मिलेगा।
- सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता से ये एसोसिएशन और अकादमियाँ अवस्थापना तथा ट्रेनिंग सुविधाओं में वृद्धि कर सकेंगी। राज्य सरकार पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के माध्यम से राज्य में खेलों की सहायता के साथ-साथ खेल अवस्थापना सुविधाओं के विकास में भी सहयोग करेगी।
- नई खेल नीति के तहत गठित किया जाने वाला ‘राज्य खेल प्राधिकरण’ भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की तर्ज़ पर काम करेगा। इसके तहत विभिन्न खेलों की स्किल को अपग्रेड किया जाएगा तथा प्रशिक्षण, कैंप, प्रशिक्षकों आदि का संचालन किया जाएगा।
- खेल नीति के लागू हो जाने से देश एवं राज्य के खिलाड़ी खेल में शिक्षा एवं प्रशिक्षण हासिल करेंगे तथा खेलों में रोज़गार के अवसर बढ़ाए जाएंगे। खेल विश्वविद्यालय की स्थापना से राज्य में योग्य प्रबंधकों, प्रशासकों और संचालन कर्मियों का एक पूल तैयार करने में मदद मिलेगी।
- खेल विश्वविद्यालय में खेलों से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों के ज़रिये इस क्षेत्र में रोज़गार बढ़ेंगे। खेल विभाग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों को उत्तर प्रदेश में लाने के लिये खेल संघों के साथ मिलकर काम करेगा। इससे बड़ी संख्या में कर्मियों की भर्ती होगी तथा सेवा प्रदाताओं में वृद्धि होगी।
- राज्य में खेलों के लिये 10 करोड़ रुपए से एक ‘राज्य खेल विकास कोष’ बनाया जाएगा, जिससे राज्य के श्रेष्ठ खिलाड़ियों को खासा फायदा मिलेगा। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उपकरण खरीदने में आसानी होगी तथा विदेशों में ट्रेनिंग और प्रदर्शन का मौका मिलेगा। इसके अलावा खिलाड़ियों को विदेशी प्रशिक्षक, फिजियोलॉजिस्ट, मनोवैज्ञानिक आदि उपलब्ध होंगे।
- उत्तर प्रदेश सरकार खिलाड़ियों की आर्थिक मदद भी करेगी। खेल नीति के अनुसार, हर पंजीकृत खिलाड़ी का पाँच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा। एकलव्य क्रीड़ा कोष से ट्रेनिंग करने या प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों को लगने वाली चोट के इलाज के लिये भी प्रदेश सरकार ही धन उपलब्ध कराएगी।
- खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण के लिये उनकी स्किल पावर के अनुरूप उन्हें तैयार किया जाएगा। इसके लिये खिलाड़ियों को तीन श्रेणियों में रखा गया है- पहली श्रेणी में ग्रासरूट (ज़मीनी स्तर) के खिलाड़ी होंगे। इन्हें शुरुआती स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- दूसरी श्रेणी डेवलपमेंट की होगी, जिसमें प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोजकर उन्हें भविष्य के खिलाड़ी के तौर पर विकसित करने के लिये एक्शन प्लान बनाकर प्रशिक्षित किया जाएगा।
- तीसरी श्रेणी में एलीट क्लास के खिलाड़ी आएंगे। ये वो स्थापित खिलाड़ी होंगे, जो विभिन्न खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन के लिये प्रेरित किया जाएगा।
- कैबिनेट मीटिंग में खेल नीति के अलावा भी मंत्रिपरिषद से खेलों से जुड़े कुछ और प्रस्तावों को भी मंज़ूरी मिली है। इनमें खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन के लिये विभिन्न कमेटियों को एक्टिवेट करने से जुड़े प्रस्ताव पर सहमति जताई गई है।
- इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में स्टेडियम, ओपेन जिम निर्माण, संचालन प्रबंधन के लिये नीति बनाने का निर्णय लिया गया है, ताकि नई पीढ़ी को सुविधाएँ दी जाएँ और होनहार खिलाड़ी गाँव से निकलें तथा प्रदेश का नाम रोशन करें।
केन्द्रीय बजट 2023-24 | UNION BUDGET 2023-24
नई वाहन स्क्रैप पॉलिसी को कैबिनेट की मंज़ूरी
- 10 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के परिवहन विभाग की नई वाहन स्क्रैप पॉलिसी के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है।
- प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि पुराने वाहनों के संचालन से होने वाले वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिये वाहन स्क्रैपिंग नीति लागू की गई है। इसके तहत कार्रवाई करने पर उत्तर प्रदेश को केंद्र सरकार से 300 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे। तीन बिंदुओं पर कार्रवाई करने पर पहली किस्त के रूप में 50 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे।
- इसके तहत प्रदेश सरकार को पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा में 15 वर्ष या उससे अधिक पुराने सरकारी वाहनों की स्क्रैपिंग एवं उनकी अपेक्षित संख्या उपलब्ध कराए जाने, निक्षेप प्रमाणपत्र के सापेक्ष क्रय किये गए वाहनों को कर में छूट प्रदान किये जाने और पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधामें स्क्रैप किये जाने वाले वाहन पर लंबित बकाया कर में एकमुश्त छूट प्रदान किये जाने की कार्रवाई करनी है।
- प्रदेश में पुराने एवं निष्प्रयोज्य हो चुके व्यावसायिक एवं गैर-व्यावसायिक वाहनों पर देय बकाया करों में छूट के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है, जिसके अंतर्गत वर्ष 2003 से पूर्व राज्य में रजिस्ट्रीकृत सभी श्रेणियों के वाहनों पर बकाया करों में 75 फीसदी तक छूट दी जाएगी।
- नई वाहन स्क्रैप पॉलिसी के तहत यह छूट अधिसूचना जारी किये जाने की तिथि से एक वर्ष के लिये मान्य होगी। यह छूट वाहन स्वामी को वाहन पर छूट के बाद देय धनराशि को एकमुश्त जमा करने पर ही प्राप्त होगी।
- कैबिनेट से मंज़ूर किये गए प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश मोटर यान कराधान अधिनियम, 1997 की धारा 4 के अधीन गैर-व्यावसायिक एवं व्यावसायिक वाहनों पर देय बकाया कर में छूट के लिये अलग-अलग श्रेणी बनाई गई है, जिसके तहत वर्ष 2003 में या इसके बाद और वर्ष 2008 से पूर्व राज्य में रजिस्ट्रीकृत सभी श्रेणियों के वाहनों पर 50 फीसदी की छूट होगी।
- इसी तरह वर्ष 2008 में या इसके बाद और 2013 में या इसके पूर्व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पड़ने वाले राज्य के ज़िलों में रजिस्ट्रीकृत सभी श्रेणियों के डीज़ल चालित वाहनों पर भी 50 फीसदी की छूट होगी।
- रजिस्ट्रीकृत यान स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र में स्क्रैप कराने वाले वाहनों पर लगाए गए जुर्माने में शत-प्रतिशत छूट होगी, लेकिन यह वाहनों पर जुर्माने की छूट देय सभी बकाया करों पर अनुमन्य होगी।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
उत्तर प्रदेश में खुलेंगे चार नए निजी विश्वविद्यालय
- 10 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में चार नए निजी विश्वविद्यालय खोलने की इज़ाजत दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में चार नए निजी विश्वविद्यालयों को आशय-पत्र जारी करने का निर्णय लिया गया है।
- उच्च शिक्षा विभाग जल्द इन्हें आशय-पत्र जारी करेगा और फिर इनका निर्माण शुरू होगा।
- इन विश्वविद्यालयों में वरुण अर्जुन विश्वविद्यालय शाहजहाँपुर, टी.एस. मिश्रा विश्वविद्यालय लखनऊ, फारुख हुसैन विश्वविद्यालय आगरा और विवेक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय बिजनौर शामिल हैं।
- इस संबंध में जारी किये गए एक बयान में कहा गया है कि नए प्राइवेट विश्वविद्यालयों को आशय-पत्र जारी करने का उद्देश्य शिक्षाके स्तर को सुधारना और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। आशय-पत्र जारी होने के बाद दो साल के अंदर इन विश्वविद्यालयों को सभी औपचारिकताएँ पूरी करनी होंगी। औपचारिकताएँ पूरी नहीं करने पर आशय-पत्र निरस्त हो जाएगा।
भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान में बीज प्रसंस्करण व भंडारण सुविधा का शुभारंभ
- 11 मार्च, 2023 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के भारतीय चरागाह एवं चरागाह अनुसंधान संस्थान, झाँसी में बीज प्रसंस्करण व भंडारण सुविधा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महिला कृषक सम्मेलन भी हुआ।
- गौरतलब है कि इस प्रकार के बीज प्रसंस्करण की 3 इकाइयाँ धारवाड़ और श्रीनगर स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों में स्थापित की गई हैं, जिन्हें कृषि मंत्रालय द्वारा 7 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता से वित्त पोषित किया गया है।
- महिला कृषक सम्मेलन के दौरान संस्थान/केंद्रों द्वारा संचालित अनुसूचित जाति उप-परियोजना के अंतर्गत लाभार्थी महिला कृषकों को 50 लाख रुपए मूल्य के कृषि यंत्रों का वितरण किया गया।
- चरागाह एवं चारे की उन्नत प्रजातियों के विकास और उनके प्रबंधन एवं अनुरक्षण हेतु भारत सरकार ने वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की ऐतिहासिक नगरी झाँसी में भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (Indian Grassland and Fodder Research Institute) की स्थापना सन् 1962 में की थी।
- झाँसी में लगभग सभी प्रमुख घासें पाई जाती हैं, इसी दृष्टि से यहाँ संस्थान की स्थापना की गई, बाद में वर्ष 1966 में इसका प्रशासनिक नियंत्रण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली को सौंप दिया गया।
- जलवायु तथा कृषि की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर भारत के अन्य भागों में इस संस्थान के तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र स्थापित किये गए हैं, जो अंबिकानगर (राजस्थान), धारवाड़ (कर्नाटक) एवं पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में स्थित हैं।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023
- 14 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार शहरों में लोगों की आवासीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये कई नियमों में संशोधन करने जारही है। इसके लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रस्तावित उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023 का प्रस्तुतीकरण किया गया।
- विदित है कि प्रदेश में हाईटेक टाउनशिप नीति समाप्त हो चुकी है। इंटीग्रेटेड नीति में 500 एकड़ और हाईटेक में 1500 एकड़ की अनिवार्यता थी।
- प्रस्तावित उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023 में दो लाख से कम आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 5 एकड़ ज़मीन और अन्य शहरों में 25 एकड़ ज़मीन पर कालोनियाँ बसाने की अनुमति दी जाएगी। कालोनियों तक जाने के लिये 24 मीटर और अंदर 12 मीटर सड़क की अनिवार्यता होगी।
- इस नीति के अंतर्गत ग्राम समाज, सीलिंग याफिर अन्य विभागों की ज़मीन लेकर दूसरे स्थान पर छोड़ने की सुविधा मिलेगी। 50 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की परियोजनाएँ कृषि भूमि और 50 एकड़ तक मास्टर प्लान में आवासीय भू-उपयोग पर कालोनी बसाने का लाइसेंस मिलेगा।
- ग्राम समाज व अन्य शासकीय भूमि को 60 दिनों में नियमित किया जाएगा। राजस्व संहिता के प्रावधानों के अधीन 5 एकड़ से अधिक भूमि लेने की छूट होगी।
- 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 50 एकड़ में बहुउद्देशीय स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स बनाया जाएगा। शहरों में स्पोर्ट्स सिटी, फिल्म सिटी, आईटी सिटी, मेडिसिटी, एजुकेशनल हब बनेगा। सभी प्रमुख भवनों की डिजाइन को उच्च कोटि का रखा जाएगा तथा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को शहर के विकास से जोड़ा जाएगा।
- निजी क्षेत्रों में बसने वाली टाउनशिप में सेक्टर विशेष यानी पार्टवार कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी करने की व्यवस्था होगी, जिसके पास सेक्टर का प्रमाण पत्र होगा उसका नक्शा ही पास किया जाएगा। अगर कंपलीशन प्रमाण पत्र नहीं है तो नक्शा पास नहीं किया जाएगा। इसका मकसद अवैध निर्माण पर रोक लगाना है।
- निजी क्षेत्र में टाउनशिप बसाने का लाइसेंस लेने के लिये टर्नओवर का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। प्रत्येक एक एकड़ के लिये 75 लाख रुपए टर्नओवर होना चाहिये। पहले यह 50 लाख रुपए था।
- टाउनशिप कालीड सदस्य भी अब विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद स्तर पर नहीं बदला जाएगा। इसके लिये प्रमुख सचिव आवास की अध्यक्षता में कमेटी होगी।
- लाइसेंस शुल्क भी अब प्रतिएकड़ 50 हजार से दो लाख रुपए और जीएसटी देना होगा। पहले यह डेढ़ लाख रुपए ही हुआ करता था। लाइसेंस क्षेत्रफल की सीमा में अधिकतम 20 प्रतिशत परिवर्तन अनुमन्य होगा।
- आवंटियों के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना के कुल क्षेत्रफल की 75 फीसदी भूमि होने पर अनुबंध किया जाएगा। पहले यह 60 फीसदी ही था। अपरिहार्य परिस्थितियों में रोड नेटवर्क की 20 फीसदी ज़मीन को अर्जन करने की अनुमति दी जाएगी।
- नई नीति की प्रमुख बातें-
- एससी/एसटी की ज़मीन लेने पर डीएम की अनुमति ज़रूरी नहीं।
- चंडीगढ़ की तर्ज पर क्षैतिज विकास को बढ़ावा दिया जाएगा।
- पैदल चलने वालों के लिये पर्याप्त फुटपाथ यानी पटरी होगी।
- उबड़-खाबड़ या अनुपयोगी भूमि को ग्रीन बेल्ट बनाया जाएगा।
- पार्कों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व पुलिस स्टेशन के पास पार्क़िग सुविधा।
- पार्कों व हरित पट्टियों में बागवानी के लिये ट्रीटेड जल का उपयोग।
- सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल के संबंध में नेट जीरो वेस्ट का पालन ज़रूरी।
उत्तर प्रदेश में एकल अभिभावक अफसरों को भी दो वर्ष का बाल्य देखभाल अवकाश देने के प्रस्ताव पर सहमति
- 15 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा एकल अभिभावक की जिम्मेदारी निभा रहे अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों (आईएएस, आईपीएस व आईएफएस) को भी दो वर्ष (730 दिन) का बाल्य देखभाल अवकाश (सीसीएल) सुविधा देने के प्रस्ताव पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। केंद्रीय कर्मचारियों को इस तरह की सुविधा पहले ही उपलब्ध कराई जा चुकी है।
- जानकारी के अनुसार बाल्य देखभाल अवकाश की मौजूदा व्यवस्था में कई महत्त्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं। केंद्र सरकार इसके लिये अखिल भारतीय सेवा अवकाश नियम-1955 में संशोधन करने जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने रूल में प्रस्तावित सभी पाँच संशोधनों पर सहमति दे दी है।
- पुरुष अभिभावक को अविवाहित, विधुर या तलाक शुदा के रूप में शामिल किया गया है। 18 वर्ष तक के दो बच्चों की पढ़ाई या बीमारी जैसी स्थितियों में यह सुविधा उपलब्ध होगी।
- केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस छुट्टी का दुरुपयोग बढ़ गया था। प्रस्तावित बदलाव से इसके अनावश्यक उपयोग को हतोत्साहित किया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
हरदोई में प्रस्तावित मेगा टेक्सटाइल पार्क
- 17 मार्च, 2023 को भारत सरकार ने वस्त्र उद्योग के लिये 7 पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क स्थापित करने के लिये स्थलों की घोषणा की, जिसमें उत्तर प्रदेश का हरदोई ज़िला भी शामिल है।
- प्रदेश के हरदोई ज़िले में 1200 करोड़ की लागत से 1000 एकड़ में मेगा टेक्सटाइल पार्क बनने से वस्त्रोद्योग से जुड़े सारे कार्य व सुविधाएँ एक ही परिसर में उपलब्ध होंगी। इससे प्रदेश में 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश व लाखों लोगों को रोज़गार मिलने की उम्मीद है।
- पीएम मित्र के तहत उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले में बनने वाले पार्क का नाम संत कबीर पीएम मित्र टेक्सटाइल एंड अपैरल पार्क होगा। इसके लिये प्रदेश को पाँच अरब रुपए मिलेंगे।
- उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने देश के सात राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में पीएम मित्र (प्रधानमंत्री मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल) पार्क स्थापित करने की मंजूरी दी है।
- इन 7 स्थलों को पीएम मित्र पार्कों के लिये 18 प्रस्तावों में से चुना गया था, जो 13 राज्यों से प्राप्त हुए थे। इसके लिये पात्र राज्यों और स्थलों का मूल्यांकन एक पारदर्शी चयन प्रणाली द्वारा किया गया था, जो कनेक्टिविटी, मौजूदा इकोसिस्टम, वस्त्र/उद्योग नीति, इंफ्रास्ट्रक्चर, उपयोगिता सेवाओं आदि जैसे विभिन्न प्रकार के कारकों को ध्यान में रखते हुए वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर किया गया था।
- इसके लिये पीएम गतिशक्ति- बहु-राष्ट्रीय मास्टर प्लान के सत्यापन के लिये मोडल कनेक्टिविटी का भी उपयोग किया गया था।
- केंद्र और राज्य सरकार के स्वामित्व वाली एक स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) प्रत्येक पार्क के लिये स्थापित की जाएगी, जिसमें 51 प्रतिशत अंश उत्तर प्रदेश सरकार का जबकि 49 प्रतिशत अंश भारत सरकार का होगा। एसपीवी परियोजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी।
- वस्त्र मंत्रालय पार्क एसपीवी को विकासके लिये पूंजीगत सहायता के तौर पर प्रतिपार्क 500 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
- पीएम मित्र पार्क में इकाइयों का तेजी से कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने के लिये प्रतिपार्क 300 करोड़ रुपए तक का प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन समर्थन (सीआईएस) भी प्रदान किया जाएगा। मास्टर डेवलपर और निवेशक इकाइयों को अतिरिक्त प्रोत्साहन सुनिश्चित करने के लिये भारत सरकार की अन्य योजनाओं के साथ सम्मिश्रण की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
- प्रदेश में टेक्सटाइल पार्क को पीपीपी मोड पर विकसित किया जाएगा। हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग को इसके लिये नि:शुल्क भूमि उपलब्ध करा दी गई है।
- एसपीवी में अपर मुख्य सचिव, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग, उत्तर प्रदेश शासन को मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में नियुक्त किया जाएगा। इस पार्क से लगभग 1 लाख प्रत्यक्ष एवं 2 लाख परोक्ष रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।
एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित होंगे प्रदेश के 5 बस अड्डे
- 16 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करेगी। इसके लिये पीपीपी मॉडल के तहत निजी डेवलपरों द्वारा पहले चरण में 23 बस अड्डों के विकास की योजना के तहत पाँच बस अड्डों के लिये चयन प्रक्रिया संपन्न की गई है।
- इन पाँच बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर सँवारने के लिये उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) को 1000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव प्राप्तहुआ है।
- इस निवेश के माध्यम से इन पाँचों स्थानों पर 2000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित होने की संभावना है। जल्द ही बाकी बचे बस अड्डों के लिये भी निजी डेवलपरों के चयन की कार्रवाई होगी।
- विभाग को फरवरी में समाप्त हुई बिड प्रक्रिया के माध्यम से निवेश के कई प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिसमें वे निवेशक भी शामिल हैं, जिन्होंने यूपीजीआईएस में प्रस्ताव दिये थे।
- मुख्य सचिव की अगुवाई वाली कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज और फिर कैबिनेट के अनुमोदन के बाद इस पर काम शुरू हो जाएगा। अनुमान है कि इस माह के अंत तक उन्हें अनुमतिपत्र (एलओआई) जारी कर दिया जाएगा।
- जिन पाँच बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किये जाने के लिये डेवलपरों का चयन किया गया है, उनमें कौशांबी बस स्टेशन, लखनऊ का विभूति खंड बस स्टेशन, प्रयागराज का सिविल लाइंस बस स्टेशन, गाजियाबाद का पुराना बस स्टेशन और आगरा फोर्ट बस स्टेशन शामिल हैं।
- इन बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिये ओमेक्सव एसपीजी बिल्डर्स समेत कई अन्य बिल्डर्स की बिड शामिल रही हैं। इनके माध्यम से जो निवेश प्रस्ताव मिले हैं उनके अनुसार कौशांबी बस स्टेशन में 245 करोड़, लखनऊ के विभूति खंड में 307 करोड़, प्रयागराज के सिविल लाइंसमें 276 करोड़, पुराना गाजियाबाद बस स्टेशन में 114 करोड़ और आगरा फोर्ट बस स्टेशन में 22 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
- प्रदेश में बस स्टेशन को अब बस अड्डा कहकर संबोधित नहीं किया जाएगा। अब ये एयरपोर्ट की तरह ही बसपोर्ट कहलाएंगे। परिवहन निगम ने विभागीय कामकाज में इस शब्द का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है।
- इसमें पब्लिक अनाउंसमेंट की भी व्यवस्था होगी, जबकि वीआईपी लाउंज, कैफेटेरिया, फूड कोर्ट, शॉपिंग मॉल्स, वेटिंग एरिया, एस्केलेटर, लिफ्ट जैसी सुविधाएँ भी इसमें विकसित की जाएंगी।
- विभाग की भूमिपर 30 प्रतिशत हिस्से में ये डेवलपर्स मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में इसका संचालन करेंगे। बाकी बचे 70 प्रतिशत स्थान पर बसों का आवागमन और पार्किंग रहेगी। इन बसपोर्ट के मेंटेनेंस का कार्य इन्हीं डेवलपर्स के पास होगा।
- बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के अलावा एक अन्य श्रेणी में कैटेगरी में भी परिवहन निगम को निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। यह श्रेणी आईटी से संबंधित है।
- रोडवेज के जीएम (आईटी) यजुवेंद्र कुमार ने बताया कि जिन कंपनियों ने इस श्रेणी में रुचि दिखाई है उनमें एक कंपनी पेटीएम भी है जो एनसीएमसी कार्ड लांच करना चाहती है। यह कार्ड मेट्रो के मंथली कार्ड जैसा होगा, जिससे बार-बार टिकट लेने की आवश्यक्ता नहीं होगी।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
प्रदेश के 44 हज़ार प्राइमरी विद्यालयों को निपुण विद्यालय का दर्जा
- 19 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिये राज्य सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग को नया लक्ष्य दिया है, जिसके तहत इससाल के अंत तक प्रदेश में 44 हज़ार प्राइमरी विद्यालयों को निपुण विद्यालय कादर्जा हासिल करना होगा।
- विदित है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बीते दिनों की गई समीक्षा में इस लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये गए थे।
- उल्लेखनीय है कि निपुण भारत मिशन का उद्देश्य यह तय करना है कि देश में प्रत्येक बच्चा अनिवार्य रूप से 2026-27 तक ग्रेड 3 के अंत तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त कर ले।
- यह मिशन, जिसे समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के तत्वावधान में शुरू किया गया है, स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में बच्चों तक पहुँच प्रदान करने और उन्हें स्कूल में बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- बेसिक शिक्षा विभाग को दिये गए निर्देशों के अनुसार प्रत्येक एआरपी (एकेडमिक रिसोर्सपर्सन) को दिसंबर तक 10 स्कूलों को निपुण बनाना होगा। इस तरह इस वर्ष के अंत तक ही 44 हज़ार से ज्यादा स्कूलों को निपुण बनाना लक्ष्य है।
- इसी तरह शिक्षक संकुलों के लिये जुलाई 2023 तक अपने स्कूलों को निपुण बनाना अनिवार्य होगा। इसके माध्यम से 41 हज़ार से ज्यादा स्कूलों को निपुण बनाने का लक्ष्य है।
- इसके अलावा राज्य के प्रत्येक ज़िले में कम से कम एक ब्लॉक को भी निपुण बनाने के निर्देश दिये गए हैं। इस तरह दिसंबर 2023 तक 75 ब्लॉक को निपुण बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।
- निर्देशों के साथ-साथ टूलकिट भी तय की गई है। इसके तहत निर्देशिका में उल्लेखित लेसन प्लान को 100 प्रतिशत कक्षाओं में लागू करना होगा। निपुण तालिका के द्वारा100 प्रतिशत स्कूल बेस्ड असेसमेंट पूर्ण करना होगा।
- इसके अलावा मेंटर्स के द्वारा स्पॉट असेसमेंट किया जाएगा, जबकि डायट स्टूडेंट्स द्वारा स्पॉट असेसमेंट सुनिश्चित किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में बनेंगे 20 नए हाईटेक कारागार
- 20 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार एक उच्च स्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने अवगत कराया कि राज्य की जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई ज़िलों में नई जेलों के निर्माण का निर्णय लिया है।
- राज्यमें नई जेलों के निर्माण के लिये प्रदेश के 11 ऐसे ज़िले चिह्नित किये गए हैं, जहाँ पर अभी कोई जेल नहीं है।
- जानकारी के अनुसार अमेठी, महोबा, कुशीनगर, चंदौली, औरैया, हाथरस, हापुड़, संभल, अमरोहा, भदोही और शामली में नई जेल बनेगी।
- आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने इसके अलावा एक केंद्रीय कारागार और नौ ज़िलों में दूसरी जेल के निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी है जब कि कुछ जेलों में बैरकों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके लिये सरकार के निर्देश पर शासन ने कारागार विभाग को हरी झंडी देते हुए भारी भरकम बजट जारी कर दियाहै।
- इन जेलों को वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए हाईटेक टेक्नोलॉजी का यूज करते हुए बनाया जाएगा। इसके साथ ही नई जेलों के निर्माण का लक्ष्य दो से पाँच साल निर्धारित किया गया है।
- विदित है कि वर्तमान में प्रदेश की केंद्रीय और ज़िला कारागार समेत कई कारागार में क्षमता से अधिक बंदी हैं। ऐसे में जेल मैनुअल द्वारा प्रदत्त सुविधाएँ उपलब्ध कराने और बंदियों के मानवाधिकारों के संरक्षण को देखते हुए नई जेलों की आवश्यकता है।
- विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया था कि वर्तमान में सात केंद्रीय कारागार में 13,669 बंदियों की क्षमता है जबकि यहाँ पर 15,201 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका अनुपात 111 प्रतिशत है।
- इसी तरह 62 ज़िला कारागार में 49,107 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 95,597 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका अनुपात 194 प्रतिशत है। वहीं 2 उप कारागार में 306 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 664 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका अनुपात 216 प्रतिशत है। महिला केंद्रीय कारागार में 120 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 148 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका अनुपात 123 प्रतिशत है।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
उत्तर प्रदेश के 18 प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल संरक्षित घोषित
- 23 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 18 प्राचीन एवं ऐतिहासिक महत्त्व के स्थलों को संरक्षित घोषित करते हुए इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।
- प्रदेश सरकार द्वारा इन सभी स्थलों को एंशियंट मान्यूमेंट्स प्रिजर्वेशन एक्ट-1904 की धारा-3 के अधीन संरक्षित घोषित किये जाने की अधिसूचना जारी की गई है। ये स्थल प्रदेश के छह ज़िलों में स्थित हैं।
- राज्य पुरातत्त्व विभाग द्वारा संरक्षित घोषित 18 स्मारकों या स्थलों में जनपद झाँसी स्थित शिवालय, प्राचीन कोल्हू कुश मड़िया, चंपतराय का महल, उत्तर मध्यकालीन किला बंजारों का मंदिर, बेर, पिसनारी दायी मड, पठामढ़ी, टहरौली काकिला, दिगारागढ़ी तथा राम जानकी मंदिर शामिल हैं।
- इसी प्रकार संत कबीर नगर जनपद के कोट टीला, प्रयागराज स्थित रानी का तालाब, इष्टिका निर्मित प्राचीन विष्णुमंदिर, गंगोलाशिवाला, जनपद महोबास्थित शिव तांडव, खंकरामठ, जनपद फर्रुखाबाद स्थित प्राचीन शिव मंदिर तथा इटावा में स्थित शिव मंदिर (टिक्सीटेम्पिल) को संरक्षित घोषित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने वाराणसी में वन वर्ल्डटीबी समिट- 2023 का उद्घाटन
- 24 मार्च, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में वन वर्ल्डटीबी समिट- 2023 का उद्घाटन किया।
- वन वर्ल्डटीबी समिट- 2023 में कई राज्यों के राज्यपाल, अनेक राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशक ऑनलाइन शामिल हुए।
- इस कार्यक्रम में कंपनियों, उद्योगों, नागरिक समाज, गैर-सरकारी संगठनों और टीबी चैंपियंस के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पाँच साल पहले 2025 तक इस अत्यधिक संक्रामक बीमारी को खत्म करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
- प्रधानमंत्री ने ‘वार्षिक भारत टीबी रिपोर्ट 2023’ का विमोचन किया, जो 2025 तक भारत को टीबी मुत्त बनाने की दिशामें देश के प्रयासों का संकलन है।
- कार्यक्रम में पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस पर एक प्रशिक्षण मॉड्यूल भी लॉन्च किया गया। यह मॉड्यूल भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के माध्यमिक और तृतीयक स्तरों के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिये विकसित किया गया है।
- प्रधानमंत्री ने टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने, बीमारी से जुड़े कलंक को खत्म करने और सेवाओं की निगरानी और सुधार में मदद करने के लिये 5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के समर्थन का लाभ उठाने के लिये टीबी-मुत्त पंचायत पहल की भी शुरुआत की तथा टीबी के संक्रमण को रोकने के लिये एक नए उपचार के तौर पर प्रीवेंटिव थेरेपी भी शुरू की गई है जिससे रोग के प्रसार को रोका जा सके।
- इसके अलावा टीबी से प्रभावित परिवारों का हित सुनिश्चित करने के लिये एक परिवार-केंद्रित देखभाल मॉडल की भी घोषणा की गई।
- नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण और उच्च नियंत्रण प्रयोगशाला केंद्र की आधारशिला भी रखी और मेट्रोपॉलिटन पब्लिक हेल्थ सर्विलांस यूनिट के लिये साइट का उद्घाटन किया।
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने टीबी को खत्म करने के प्रमुख कार्यक्रम संकेतकों के आधार पर महत्त्वपूर्ण प्रगति करने के लिये राज्यों और ज़िलों को भी सम्मानित किया।
- राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की श्रेणी में कर्नाटक और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को सम्मानित किया गया और नीलगिरी (तमिलनाडु), पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) और अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर) को ज़िलास्तर के पुरस्कार दिये गए।
- कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्चइन ट्यूबरकुलोसिस (एनआईआरटी) जैसे आईसीएमआर संस्थानों ने दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रीय टीबी संक्रमण सर्वेक्षण पूरा किया है, जिसने लक्षित कार्यक्रम संबंधी क्रिया-कलापों के लिये राज्य स्तर पर टीबी के बोझ को समझने में मदद की है।
- उप-राष्ट्रीय प्रमाणन (एसएनसी कार्य को लागू करने वाला भारत दुनिया का एकमात्र देश है। यह एक अभिनव वैज्ञानिक पद्धति है, जिसके माध्यम से ज़िलों को उनके उन्मूलन की प्रगतिके लिये सत्यापित किया जाता है।
- प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि टीबी रोगियों के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत 75 लाख से अधिक टीबी रोगियों के खाते में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक धन राशि ट्रांसफर की गई है।
- गौरतलब है कि मार्च 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत से टीबी को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई, जबकि शेष विश्व में 2030 तक टीबी से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट का फ्लैग ऑफ एवं टोल फ्री हेल्पलाइन-1962 का शुभारंभ
- 26 मार्च, 2023 को केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ से ‘पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना’ के अंतर्गत 201 करोड़ रुपए की लागत से 520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट का फ्लैग ऑफ एवं टोल फ्री हेल्पलाइन-1962 का शुभारंभ किया।
- वेटरनरी यूनिट फ्लैग ऑफ कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रुपाला ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पशुओं के लिये भारत सरकार के खर्चे से मोबाइल वेटरनरी यूनिट शुरु करना तथा असहाय पशुओं के लिये 108 डायल कर एम्बुलेंस जैसी सुविधा उपलब्ध करायी गई है। जिस तरह मानव बीमारी के लिये सबकी जुबां पर एम्बुलेंस की सुविधा के लिये 108 है उसी तरह अब सभी जानवरों को एम्बुलेंस जैसी सुविधा उपलब्ध कराने के लिये 1962 हेल्पलाइन शुरु की गई है।
- केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत विश्व में दुग्ध उत्पादन में नं. 1 है और उतर प्रदेश भारत में नं. 1 पर है। भारत के विश्व में सबसे आगे होने का कारण उतर प्रदेश का भारत में नं. 1 होना है।
- उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि लगभग 6 करोड़ पशुधन के संरक्षण व संवर्धन की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स उपलब्ध कराई गई तथा प्रदेश में निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिये 6,600 से अधिक गो-आश्रय स्थल स्थापित किये गए हैं।
- अब मोबाइल वेटरनरी वैन प्रदेश के 05 ज़ोन में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से संचालित होंगी।
- विदित है कि प्रदेश में कुल 12 लाख निराश्रित गोवंश हैं, उनमें से 11 लाख गोवंश के संरक्षण की जिम्मेदारी अकेले उत्तर प्रदेश सरकार उठा रही है।
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व को ‘कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स’का दर्जा मिला
- 26 मार्च, 2023 को पीलीभीत टाइगर रिज़र्व (पीटीआर) के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि बाघों के संरक्षण, रख-रखाव के साथ बेहतर ढंग से प्रबंधन के लिये पीटीआर को एनटीसीए की ओर से ‘कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स’ का दर्जा मिला है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से देश के छह टाइगर रिज़र्व को बाघों के संरक्षण, रख-रखाव के साथ बेहतर ढंग से प्रबंधन के लिये ‘कंजर्वेशन एश्योर्डटाइगर स्टैंडर्ड्स’ (सीएटीएस) का दर्जा दिया गया है। इनमें पीटीआर भी शामिल है।
- जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एनटीसीए के सहायक आईजीएफ हेमंत सिंह की ओर से पत्रजारी कर देश के छह टाइगर रिज़र्व- काली, मेलघाट, ताडोबा-अंधेरी, नवे गाँव-नगजीरा, पेरियार और पीलीभीत को सीएटीएस का दर्जा दिया गया है।
- गौरतलब है कि पीलीभीत को वर्ष2014 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था। वर्ष 2014 में बाघों की संख्या मात्र 25 थी। टाइगर रिज़र्व बनने के बाद जंगल के अनुकूल वातारण के साथ बाघों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिये राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुसार काम हुए। नतीजा यह रहा कि वर्ष 2020 में बाघों की संख्या बढ़कर 65 हो गई। इस उपलब्धि के लिये पूरे विश्व में पीलीभीत टाइगर रिज़र्व की चर्चा भी हुई।
- विदित है कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) में पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता के प्रमुख मिसमिंडोरी पैक्सटन की ओर से नवंबर 2020 को पीलीभीत टाइगर रिज़र्व को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का टाइगर एक्सटू अवार्ड दिया गया था।
- इस अवार्ड की खास बात यह थी कि विश्व के 13 ऐसे देश, जहाँ बाघ पाए जाते हैं, इन देशों में सिर्फ भारत के पीलीभीत टाइगर रिज़र्व को बाघों की संख्या बढ़ाने पर यह अवार्ड मिला था। इसके बाद बाघों की बढ़ती संख्या का असर भी देखा गया। जंगल और उसके बाहर के इलाकों में बाघों की सक्रियता बढ़ गई। हालाँकि पूर्व की अपेक्षा मानव वन्य जीव संघर्ष में कमी आई।
- उल्लेखनीय है कि ‘कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स’ की अधिकारिक तौर पर वर्ष 2013 में शुरूआत की गई थी। इसके तहत सात मानक स्तंभों और 17 मूल तत्त्वों पर आधारित लक्षित प्रजातियों के प्रभावी प्रबंधन के लिये मानदंड तय किये जाते हैं। इसके तहत बाघों के संरक्षण के क्षेत्र को जाँच और परखने का अवसर दिया जाता है।
- मनरेगा मजदूरों के लिये नई दरों की घोषणा
- 28 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के मनरेगा कार्यालय के अपर आयुक्त ने बताया कि भारत सरकार ने मनरेगा मजदूरों के लिये नई दरों की घोषणा कर दी है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के मनरेगा मजदूरों को भी अब 213 की जगह 230 रुपये मजदूरी दी जाएगी।
- मनरेगा मजदूरों के लिये घोषित नई दरों के अंतर्गत प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक मनरेगा मजदूरों को एक अप्रैल से उन्हें प्रतिदिन की मजदूरी 17 रुपये अधिक मिला करेगी।
- प्रदेश में अब यदि कोई मनरेगा मजदूर महीने में लगातार 30 दिन काम करेगा तो उसे मिलने वाली कुल मजदूरी में 510 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब 20 करोड़ जाब कार्ड धारक मनरेगा मजदूर हैं। इनमें से करीब 1.62 करोड़ मजदूर सक्रिय रहते हुए मनरेगा का काम कर रहे हैं।
- कोरोना वर्ष 2020-21 के दौरान प्रवासी मजदूरों के बाहर से लौट आने पर गाँवों में रोज़गार की मांग बहुत बढ़ गई थी, जिसके कारण 45 लाख मानव दिवस इस वर्ष काम के लिये सृजित करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2021-22 में 32.56 करोड़ और चालू वित्तीय वर्ष 2022- 23 में करीब 31 करोड़ मानव दिवस पर मजदूरों ने काम किया।
- विदित है कि मनरेगा के तहत केंद्र सरकार से निर्धारित कामों से अलग हटकर इस योजना से उत्तर प्रदेश में पाँच नये काम शुरू कराए हैं, जिसमें नदियों का पुनरुद्धार, महिला समूहों द्वारा सूचना पटेा का निर्माण, महिला समूहों की महिलाओं को मनरेगा में मेट बनाया जाना, बैंकिंग करेस्पांडेट सखी द्वारा मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का भुगतान तथा ज़िलों में हाईटेक नर्सरी निर्माण का काम किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
उत्तर प्रदेश में लागू होगी कबाड़ नीति
- 28 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह ने बताया कि राज्य परिवहन विभाग ने भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के मानक को आधार बनाकर कबाड़ नीति लागू करने का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है, जिसके तहत राज्य में एक अप्रैल से कबाड़ नीति लागू हो जाएगी।
- विदित है कि केंद्र सरकार के बाद उत्तर प्रदेश में भी यह कबाड़ नीति लागू हो रही है। इस नीति में यदि कोई अपने 15 साल पुराने वाहन को कबाड़ सेंटर पर बेचता है तो उसे लगभग 22 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से इसका दाम मिलेगा। वाहन के कुल वज़न का 65 प्रतिशत हिस्सा ही उसका मूल वजन माना जाएगा और उसर कम का भी 90 प्रतिशत का ही भुगतान होगा।
- इस नीति में एक अप्रैल 2023 से 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने की तैयारी है। इसमें राज्य सरकार के सभी 15 साल पुराने वाहनों को कबाड़ करना होगा। इसके लिये सरकार ने दो लक्ष्य तय किये हैं।
- पहले लक्ष्य में, सभी इस अवधि के सरकारी स्वामित्व वाले वाहनों को स्क्रैप करना है, जिसमें सभी सरकारी विभागों, स्थानीय निकाय, उपक्रमों आदि के वाहनों को लेना है। दूसरे लक्ष्य में, निजी वाहनों को लाना होगा जिनके लिये स्वैच्छिक रूप से नीति तय की गई है। यानी वह यदि चाहें तो इस नीति का लाभ उठा सकते हैं।
- पूरे प्रदेश में अब तक 12 कबाड़ सेंटरों पर काम शुरू हो गया है। सभी निजी संचालक हैं।
- अभी निजी वाहनों की आयु तय नहीं की गई है। 15 साल बाद ऐसे वाहन की फिटनेस करानी होती है। यदि वह फिट है तो उसका पंजीकरण अगले पाँच साल के लिये रिन्युअल हो जाता है। ऐसे ही निजी व्यावसायिक वाहन ट्रक आदि का भी हर दो साल में फिट होने की स्थिति में रिन्युअल होता रहता है।
- विदित है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह नियम समाप्त कर दिया गया है। वहाँ पेट्रोल चलित वाहन की उम्र 15 साल और डीजल वाहन की उम्र 10 साल तय कर दी गई है। इसके बाद उनका पंजीकरण रिन्युअल नहीं होगा। या तो उन्हें एनसीआर से बाहर ले जाना होगा या कबाड़ में बेचना होगा।
- गौरतलब है कि प्रदेश भर में 203 सरकारी कार्यालयों ने अब तक अपने 15 साल पुराने वाहनों की सूचना भेज दी है। इनमें 3367 वाहन ऐसे हैं जो 15 साल से पुराने हैं। सबसे ज्यादा पुलिस विभाग में ऐसे वाहन हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस के पास कुल 397 वाहन ऐसे हैं। इनमें से 366 वाहन तो 15 साल पुराने हैं जो अभी चल रहे हैं जबकि 31 वाहन बीस साल से ज्यादा पुराने हैं।
- यदि इस नीति में कोई अपनी 15 साल पुरानी बाइक कबाड़ में बेचता तो उसे लगभग 2500 रुपए मिलेंगे। यदि बाइक का वजन 180 किलो है तो उसका वजन 65 प्रतिशत माना जाएगा।
- इसी तरह से यदि कोई अपनी 15 साल पुरानी एसयूवी कार देने लगे और उसका वजन 2000 किलो हो तो उसका कुल वजन 1200 किलो माना जाएगा। उसे 25740 रुपए दिये जाएंगे। हालाँकि स्क्रैप सेंटर से इसका एक प्रमाण पत्र भी प्राप्त होगा जिससे दिखाकर नए वाहन के रजिस्ट्रेशन कराने पर छूट मिलेगी।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 22 प्रस्तावों पर लगाई मुहर
- 29 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य के निकाय चुनाव के लिये ओबीसी आरक्षण के संशोधित प्रस्ताव सहित 22 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
- इन प्रस्तावों में किसानों को बड़ी राहत देने वाले कई प्रस्ताव हैं। इसके साथ ही छात्रों को सौगात दी गई है। टैबलेट और स्मार्ट फोन खरीद के प्रस्ताव को भी मुहर लगी है तथा बिजली व्यवस्था को सुधारने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई है।
- उत्तर प्रदेश कैबिनेट बैठक में मंजूर किये गए अन्य प्रस्ताव- इलेक्ट्रिक वाहनों एवं पंजीकृत वाहन स्क्रेपिंग सुविधामें स्क्रैप किये जाने वाले वाहनों पर शुल्क एकमुश्त छूट के नियमों में बदलाव के प्रस्ताव मंजूर हुये हैं। वाहनों को किसी भी ज़िले में स्वस्थता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की सुविधा भी दे दी गई है।
- स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत 10 लाख युवाओं को मुफ्त टैबलेट और 25 लाख कास्मार्ट फोन बांटने के लिये कैबिनेट की बैठक में अंतिम बिड दस्तावेज़ को मंजूरी दी गई है। यह योजना पाँच सालों के लिये लागू की गई है।
- प्रदेश के गन्ना किसानों को अब अपने खेतों की मिट्टी के उपचार और रसायनों की खरीद के लिये ज्यादा सब्सिडी मिलेगी। इस प्रस्ताव के तहत पेड़ी प्रबंधन और मृदा उपचार को एक कर दिया गया। पहले पेड़ी प्रबंधन व मृदा उपचार दो अलग-अलग विषय हुआ करते थे।
- साथ ही सब्सिडी की दर 1800 प्रति एकड़ का 50 प्रतिशत यानी 900 रुपए निर्धारित की गई है। पहले यह प्रति एकड़ न्यूनतम 150 और अधिकतम 500 रुपए प्रति एकड़ हुआ करती थी।
- उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम की मेरठ ज़िले में स्थित मोहियुद्दीन पुन चीनी मिल में डिस्टलरी लगाई जाएगी। 60 हज़ार लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाली यह डिस्टलरी बी. हैवी शीरे पर आधारित होगी।
- अमरोहा ज़िले की गजरौला सहकारी चीनी मिल में नए प्लांट लगाए जाएंगे। इस मिल में 2500 टन प्रतिदिन पेराई क्षमता का विस्तार करते हुए इसे 4900 टन प्रतिदिन की क्षमता तक ले जाने के लिये नया प्लांट लगेगा।
- प्रदेश में गौवंश और उसमें भी अधिकांशत: गायों की जन्मदर बढ़ाने के लिये पशुपालकों के बीच कृत्रिम गर्भाधान को और बढ़ावा दिया जाएगा।
- प्रदेश सरकार ने ऐसे कृत्रिम गर्भाधान के लिये पशुपालन विभाग से पशुपालकों को दिये जाने वाले वर्गीकृत वीर्य की लेवी की दर अब और कम कर दी है। अब सभी ज़िलों में इसकी लेवी दर 100 रुपए प्रतिडोज कर दी गई है।
- आगामी दिनों में बिजली उत्पादन के लिये कोयले पर निर्भरता कम करने के लिये राज्य सरकार ग्रीन एनर्जी पर फोकस करते हुए राज्य में ग्रीन कॉरीडोर-2 विकसित करेगी, जिसके तहत बुंदेलखंड में 4000 मेगावाट के सोलर प्लांट लगाए जाएंगे। जो सोलर परियोजनाएँ लगाई जानी हैं, उसके तहत कई सोलर पार्क बनाए जाएंगे। उसमें चित्रकूट, झांसी, ललितपुर, जालौन में 600 मेगावाट के सोलर पार्क बनाए जाएंगे।
- प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में प्रशिक्षण प्राप्तकर रहे पंजीकृत 11 हज़ार खिलाड़ियों को ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ में सम्मिलित कर उनके उपचार पर प्रति वर्ष खर्च होने वाली धनराशि पाँच लाख रुपए तक कैशलेस की सुविधा अनुमन्यकी गई है। इस योजना में पहली बार 11 हज़ार पंजीकृत खिलाड़ियों को शामिल किया गया है।
- शहरी लोगों को निकायों की बेहतर ऑनलाइन सुविधाएँ देने के लिये स्टेट अर्बन डिजिटल मिशन (एसयूडीएम-यूपी) की स्थापना करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
- प्रदेश सरकार मछुआ व मल्लाह समुदाय के लिये ‘निषादराज बोट सब्सिडी योजना’ शुरू करेगी। योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को बगैर इंजन की नाव, जाल व लाइफ जैकेट आदि खरीदने के लिये सब्सिडी दी जाएगी।
- योजना के तहत 15 से 18 फुट लंबी बगैर इंजन की नाव खरीदने पर अधिकतम 67 हज़ार रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। हर साल तीन हज़ार नावों पर सब्सिडी दी जाएगी। योजना का लाभ प्राथमिकता के स्तर पर अंत्योदय कार्डधारक, आवासहीन और केवट मल्लाह समुदाय के लोगों को दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
एकेटीयू के छात्रों ने बनाया मशीन लर्निंग वाला रोबोट
- 30 मार्च, 2023 को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (AKTU) के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर के एसोसिएट डीन अनुज शर्मा ने बताया कि एकेटीयू ने एक ऐसारोबोट विकसित किया है, जिसे मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग करके दोनों हाथों की उंगलियों का उपयोग करके निर्देशित किया जा सकता है।
- इस तकनीक को एकेटीयू के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर के एसोसिएट डीन अनुज शर्मा और उनकी छात्र टीम द्वारा विकसित किया गया है। मशीन लर्निंग तकनीक वाले रोबोट न केवल उंगलियों के इशारों पर चलेंगे बल्कि प्रोग्राम किये गए सभी कार्यों को भी करेंगे। अलग-अलग विकलांग लोग, विशेषरूप से दृष्टि बाधित, बहरे व मूक और वरिष्ठ नागरिक विभिन्न कार्यों के लिये रोबोट का उपयोग कर सकते हैं।
- इस तकनीक को कंप्यूटर विजन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार किया गया है। इसमें अगर दाहिने हाथ की उंगलियों वाले एक से ज्यादा रोबोट हैं तो उनका चयन किया जाएगा। उदाहरण के लिये, जिस रोबोट की जानकारी अंगूठे पर दर्ज है, वह चालू हो जाएगा। इसी तरह रोबोट अन्य उंगलियों पर भी काम करेगा।
- रोबोट को कंप्यूटर और डेस्कटॉप की मदद से ऑपरेट किया जा सकता है। रोबोट के चयन के लिये दाहिने हाथ की उंगली जबकि बाएँ हाथ का उपयोग निर्देशों के लिये किया जाएगा, जैसे- रोबोट को अंगूठे और अन्य का उपयोग करके पंखे को चालू करने के लिये कहना।
- 75 लाख से अधिक नल कनेक्शन के साथ उत्तर प्रदेश हुआ देश के शीर्षचार राज्यों में शामिल
- 31 जनवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश ने 75 लाख से अधिक नल कनेक्शन देने वाले चार राज्यों में स्थान बनाते हुए नया कीर्तिमान स्थापित किया है। प्रदेश सरकार की इस बड़ी उपलब्धि को नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने ‘हर घर जल, 75 लाख नल’ समारोह के रूप में उत्साह के साथ मनाया।
- उत्तर प्रदेश में विभाग की समस्त टीम को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए 75 इंजीनियर, अधिकारी और कर्मचारियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
- इसके अलावा जल जीवन मिशन की दो साल की सफलतापूर्वक यात्रा पर आधारित फिल्म ‘हर घर पानी, खुद निगरानी’ का अनावरण व विभाग की उपलब्धियाँ गिनाती ई-बुकलेट का विमोचन किया गया।
- कार्यक्रम में खासकर बुंदेलखंड में विपरीत परिस्थितियों में किस तरह से गाँव-गाँव तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है इसको विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से मंचित किया गया तथा पूर्वी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ प्रदेश के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर जल पहुँचने से मिली खुशियों को सांस्कृतिक झलकियों से प्रस्तुत किया गया।
- जल जीवन मिशन की हर घर जल योजना ने सर्वाधिक ग्रामीण आबादी वाले उत्तर प्रदेश ने बहुत कम समय में बड़ा मुकाम हासिल करते हुए 62 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों में से 75,26,740 ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन देने वाले राज्यों में चौथा स्थान हासिल किया है।
- गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से आगे बिहार 58 करोड़ से अधिक, महाराष्ट्र1.06 करोड़ से अधिक और गुजरात 91 लाख से अधिक नल कनेक्शन देने वाले राज्य हैं।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
बुलंदशहर-खुर्जा के 55 गाँव यीडा में शामिल
- 2 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर और खुर्जा विकास प्राधिकरण के 55 गांव अब यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) में शामिल हो गए हैं।
- यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) में इन गांवों के शामिल होने से यमुना प्राधिकरण के लॉजिस्टिक, वेयर हाउसिंग और कार्गो हब का दायरा बढ़ जाएगा।
- यमुना प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा ज़िले आते हैं। अभी तक बुलंदशहर ज़िले के 40 गाँव प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में थे।
- यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में ही एयरपोर्ट भी बन रहा है। लॉजिस्टिक और वेयर हाउसिंग हब भी विकसित होगा। इस हब को रेलमार्ग से जोड़ने की योजना थी। इसके लिये प्राधिकरण को अपना दायरा बढ़ाकर दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग के पास तक ले जाना था। इसके लिये प्राधिकरण ने 55 गाँवों को शामिल करने की योजना बनाई।
- कानपुर में सोलर प्लांट स्थापित करने के लिये एसजेवीएनएल ने उत्तर प्रदेश सरकार से एमओयू किया
- 7 फरवरी 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनी सतलुज जल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) कंपनी ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में 3500 करोड़ रुपए की लागत से एक सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिये उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के साथ समझौता ज्ञापन साइन किया है।
- कंपनी ने प्लांट लगाने के लिये प्राधिकरण से घाटमपुर या उसके आसपास के क्षेत्र में करीब 3000 एकड़ ज़मीन मांगी है। इस ज़मीन पर कंपनी करीब 700 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित करेगी।
- इस प्लांट के लगने से करीब 300 लोगों को रोज़गार मिल सकेगा। वहीं, प्रदूषण रहित बिजली की वजह से पर्यावरण को लाभ होगा।
- एसजेवीएनएल के अतिरिक्त महाप्रबंधक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि कंपनी जालौन के काल्पी और उरई तहसील में 75-75 मेगावाट के प्लांट स्थापित कर रही है जिनमें काल्पी के परासन गाँव में स्थापित प्रोजेक्ट ऑपरेशन में आ गया है।
- वहीं, कानपुर देहात के अकबरपुर में भी 50 मेगावाट का एक सोलर पॉवर प्लांट निर्माणाधीन है।
- उल्लेखनीय है कि सोलर प्लांट से उत्पन्न बिजली अन्य किसी माध्यम से पैदा होने वाली बिजली से सस्ती होती है।
- कंपनी सीधे तौर पर ओपन मार्केट के अलावा उद्योगों व कानपुर मेट्रो जैसे प्रतिष्ठनों को बिजली बेचने के लिये संपर्क करेगी।
गणतंत्र दिवस परेड में शामिल एनसीसी कैडेट सम्मानित
- 8 फरवरी 2023 को उत्तर प्रदेश के राजभवन लखनऊ में एनसीसी ग्रुप मुख्यालय की ओर से गणतंत्र दिवस परेड में शामिल एनसीसी कैडेट्स को सम्मानित किया गया। इस परेड में कुल 52 गर्ल्स कैडेटों ने भाग लिया था। जिन्हें ड्रिल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मिला है।
- परेड टुकड़ी में 20 यूपी गर्ल्स बटालियन से 9 कैडेट, 19 बटालियन से 16 कैडेट, 63 बटालियन से 4 कैडेट, 64 बटालियन से 5 कैडेट, 67 बटालियन से 21 कैडेट, 39 से 8 कैडेट और 5 एयर स्क्वार्डन एनसीसी से 9 कैडेट शामिल थे।
- साथ ही सीनियर डिवीजन के एनसीसी लड़कों ने ड्रिल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
- वहीं लखनऊ एनसीसी ग्रुप मुख्यालयकी दो गर्ल्स कैडेटों को नेतृत्व, पहल, लगन और विभिन्न कैंपों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिये डायरेक्टर जनरल एनसीसी दिल्ली का प्रशंसा पत्र मेडल और रुपए 3000 का पुरस्कार दिया गया।
- डायरेक्टर जनरल एनसीसी का प्रशंसा पत्र सीनियर अंडर अफसर कीर्तिराय और सीनियर अंडर अफसर वैभवी भटे 67 उत्तर प्रदेश एनसीसी बटालियन को मिला है।
- विदित है कि 75 ज़िलों से आए कैडेटों के सम्मान में राजभवन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सर्वोच्च कलाकारों को 20 उत्तर प्रदेश गर्ल्स बटालियन में मेडल और सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
वरिष्ठ न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर होंगे इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
- 9 फरवरी, 2023 को मिडिया से मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में कोलेजियम ने वरिष्ठ न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की केंद्र सरकार से सिफारिश की है।
- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में कोलेजियम ने केंद्र सरकार से की गई सिफारिश में कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त होने से खाली हुए पद पर न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की नियुक्ति की जाए।
- उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर 3 अक्तूबर 2018 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से स्थानांतरित होकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में नियुक्त किये गए थे। यहाँ के वरिष्ठतम न्यायमूर्ति होने के नाते इन्हें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई है।
- न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर का जन्म 22 नवंबर 1961 को हुआ था। उन्होंने दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से कानून में स्नातक किया है। 1984 में वे अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए।
- वे सेल, भारतीय स्टेट बैंक, छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई, मध्य प्रदेश राज्य वित्तीय निगम, कोटक महिंद्रा बैंक, रायपुर दुग्ध संघ, सीबीएसई और कई अन्य नगर निगमों के स्थायी वकील रहे हैं।
- उन्हें जनवरी 2005 में छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। वह सात साल के लिये मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल और पाँच साल के लिये स्टेट बार काउंसिल ऑफ छत्तीसगढ़ के सदस्य थे।
- 31 मार्च 2009 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में वे पदोन्नत हुए। 21 नवंबर 2023 को न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर अपने पद से रिटायर हो जाएंगे।
लखनऊ के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में खेल से संबंधित नए बुनियादी ढाँचे का उद्घाटन
- 12 फरवरी, 2022 को केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लखनऊ में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में उपलब्ध खेल के बुनियादी ढाँचे को और बेहतर बनाने के प्रयास के साथ 300 बिस्तरों वाले छात्रावास, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ कुश्ती के लिये एक उन्नत हॉल तथा एक खेल चिकित्सा केंद्र का उद्घाटन किया।
- लखनऊ स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण का राष्ट्रीय उत्कृष्टता (एनसीओई) केंद्र महिला कुश्ती एथलीटों के राष्ट्रीय शिविरों का केंद्र रहा है, जहाँ पर भारत की विशिष्ट वर्ग की महिला पहलवानों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
- एनसीओई लखनऊ में 300 बिस्तरों वाले छात्रावास के निर्माण के साथ ही इसकी क्षमता में काफी बढ़ोतरी हो गई है और अब यहाँ किसी भी समय राष्ट्रीय शिविर में आने वाले खिलाड़ियों सहित 460 एथलीटों के रहने की क्षमता स्थापित हो गई है।
- नया छात्रावास महिला एथलीटों को समर्पित होगा, जबकि 80 बिस्तरों के मौजूदा दो छात्रावास इस केंद्र में लड़कों के प्रशिक्षण के लिये आरक्षित रहेंगे।
- खेल चिकित्सा केंद्र को मौजूदा मेडिकल सेंटर से अपग्रेड किया गया है और अब इसमें खेल विज्ञान विशेषज्ञों के साथ-साथ एक खेल मनोवैज्ञानिक भी होंगे। इस प्रांगण को पूरी तरह से सुसज्जित खेल विज्ञान केंद्र बनाने के लिये यहाँ पर उन्नत बायो मैकेनिक मशीनें लगाई जा रही हैं।
यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट -2023
- 12 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (यूपी जीआईएस-2023) का समापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मार्गदर्शन के साथ हुआ।
- यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में 3 दिन में कुल 33 लाख, 50 हज़ार करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इसके साथ ही यहाँ पर कुल 19058 एमओयू साइन हुए। इससे करीब 93 लाख, 82 हज़ार, 607 लोगों को रोज़गार मिलेगा।
- राज्य सरकार ने निवेशकों की सुविधा एवं एमओयू के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये ‘निवेश सारथी’ नामक नई ऑनलाइन प्रणाली शुरू की है।
- उल्लेखनीय है कि तीन दिवसीय यूपी जीआईएस-2023 का शुभारंभ 10 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने खेल को भी इस समिट में शामिल किया है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एशोसिएशन ने बाराबंकी में 30 हज़ार की क्षमता वाला एक स्टेडियम बनाने के लिये प्रदेश सरकार के साथ एमओयू किया है।
- यूपी ग्लोबल समिट के अंतिम दिन यूके पार्टनर कंट्रीसेशन में ब्रिटेन की कंपनियों ने सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षेत्रों में 6 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये। अब उत्तर प्रदेश मेडिकल और दवा क्षेत्र का बड़ा केंद्र बनेगा। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में प्रदेश को इस सेक्टर में 63,475 करोड़के प्रस्ताव मिले हैं।
- दवा और उपकरण से जुड़े कारोबार को लेकर कुल 156 करार अभी तक हुए हैं। मेडिसिन इंडस्ट्री से जुड़े कई बड़े ग्रुप ने उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों में अस्पताल खोलने का एलान किया है। इससे उत्तर प्रदेश के लोगों को आने वाले दिनों में पहले से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलेंगी।
- उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सिंगापुर के निवेशकों ने उत्तर प्रदेश में आध्यात्म और इको टूरिज्मके लिये 29,000 करोड़ रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर किये।
- उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 ,उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख शिखर सम्मेलनों में शुमार है। उत्तर प्रदेश में विकास की गति को तेज करने और निवेश हासिल करने के लिये दुनिया भर के नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं, व्यापार प्रतिनिधिमंडलों, शिक्षाविदों, थिंक टैंक और नेताओं को सामूहिक रूप से व्यापार के अवसरों का पता लगाने के लिये इस मंच पर बुलाया जाता है।
- उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण से जुड़ी एक पहल है, जिसके लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य को अगले 5 वर्षों में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का आकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
- इस समिट में 20 से अधिक देशों के 10,000 से अधिक प्रतिनिधियों (घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय) की भागीदारी देखी गई।
- दिसंबर 2022 में यूपीजीआईएस 2023 के लिये राज्य सरकार ने 16 देशों और भारत के 8 प्रमुख शहरों में रोड शो आयोजित किये थे, ताकि उत्तर प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित किया जा सके और निवेशको बढ़ाया जा सके।
- इस समिट में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, जर्मनी, नीदरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात जैसी कई प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाएँ ‘साझेदार देश’ रहे हैं।
- ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने फरवरी 2018 में पहली बार बड़े पैमाने पर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था। इसमें 28 हज़ार करोड़ के विभिन्न बड़ी कंपनियों की तरफ से विकास को लेकर एमओयू साइन किये गए थे।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
उत्तर प्रदेश बड़े पैमाने पर करेगा बिजली बैंकिंग
- 17 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर सभी क्षेत्रों में भरपूर निर्बाध बिजली देने के प्रयासों को फलीभूत करने के लिये उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने दूसरे राज्यों से बड़े पैमाने पर बिजली बैंकिंग करने का फैसला किया है।
- चेयरमैन एम. देवराज ने बताया कि बिजली बैंकिंग के तहत सर्दियों तथा सामान्य दिनों में जब राज्य में बिजली की मांग औसत अथवा कम रहती है, उस समय कॉरपोरेशन उपलब्ध अतिरिक्त बिजली जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक के साथ ही एनटीपीसी को देगा। प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ने पर ज़रूरत के मुताबिक इस बिजली को इन राज्यों से वापस लिया जाएगा।
- गौरतलब है कि 2014 में राज्य में महज़ 1 करोड़ 42 लाख 64 हज़ार बिजली उपभोक्ता थे, जो अब बढ़कर 25 करोड़ पहुँच गए हैं। 2014 में बिजली की अधिकतम मांग, जो 12327 मेगावाट थी, वह 2022 में दोगुने से अधिक 26589 मेगावाट पहुँच गई है। बिजली सप्लाई के घंटों में भारी वृद्धि हुई है। ज़िला मुख्यालय तथा उद्योगों को 24 घंटे बिजली दी जा रही है, गाँवों को भी 6 घंटे अधिक बिजली मुहैया कराई जा रही है।
- उद्योगों को 24 घंटे बिजली मिलने से निवेशक भी उत्तर प्रदेश आने को आतुर नज़र आ रहे हैं। वैश्विक निवेशक सम्मेलन में आए भारी-भरकम निवेश प्रस्तावों के धरातल पर उतरने पर राज्य की अर्थव्यवस्था में भारी उछाल आएगा। उद्योगों के आउटपुट से राज्य की अर्थव्यवस्था बढ़ने के साथ ही प्रतिव्यक्ति आय में तेज इजाफा होगा।
- माना जा रहा है कि दो से तीन साल के अंदर ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर पहुँच जाएगी। हालाँकि उद्योगों के आने के साथ ही पावर कॉरपोरेशन को आने वाले सालों में बिजली की मांग की संभावित वृद्धि का आकलन नए सिरे से करना होगा, जिसकी तैयारी कॉरपोरेशन ने शुरू कर दी है।
- कॉरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज के मुताबिक बिजली बैंकिंग के बड़े फैसले के बाद पावर कॉरपोरेशन सर्दियों व आम दिनों में राज्य के पास उपलब्ध अतिरिक्त बिजली को पावर एक्सचेंजसे बेचेगा नहीं, बल्कि जिन राज्यों से करार हो रहा है, उन्हें दे देगा।
- उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर से 29 मिलियन यूनिट, तमिलनाडु से 56 मिलियन यूनिट का समझौता पहली बार किया है। कर्नाटक और एनटीपीसी से करार प्रस्तावित है। बैंकिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश से जुड़े राजस्थान ने पिछले वर्ष 449.6 मिलियन यूनिट का करार किया था। अब करीब चार गुना अधिक 1967.8 मिलियन यूनिट की बैंकिंग का करार किया है। मध्य प्रदेश से भी बैंकिंग का करार हुआ है।
- चेयरमैन का दावा है कि इस प्रयास से प्रदेश में बिजली की कोई दिक्कत नहीं होगी। सर्दियों में जब मांग कम रहती है, उस समय उत्पादन गृहों को पूरी क्षमता से चलाया जा सकेगा, क्योंकि दूसरे राज्यों को अतिरिक्त बिजली चली जाएगी। बिजली बैंकिंग के तहत कॉरपोरेशन इन राज्यों को सरप्लस बिजली होने पर करार के मुताबिक तय बिजली देगा। ये राज्य जब उत्तर प्रदेश को ज़रूरत होगी तो ली गई बिजली वापस करेंगे।
- इसका लाभ यह होगा कि जब राज्य में जून से सितंबर के बीच बिजली की मांग अधिकतम होती है उस समय भी बिजली की कोई किल्लत नहीं होगी। पावर एक्सचेंज से 12 रुपए और अधिक की दर से बिजली नहीं खरीदनी पड़ेगी। हमेशा गर्मी के दिनों में पावर एक्सचेंज में बिजली का रेट बहुत अधिक रहता है।
- चेयरमैन ने बताया कि 7413 मेगावाट क्षमता की नई उत्पादन इकाइयों से बिजली का उत्पादन 2025-26 तक शुरू हो जाएगा। 2023-24 के अंत तक इसमें से 5000 मेगावाट की इकाइयाँ चलने लगेंगी।
- 2021-22 में 927 करोड़ रुपए तथा 2022-23 में अब तक 91 करोड़ रुपए की बिजली खरीदी जा चुकी है। 2030 तक राज्य में बिजली की अनुबंधित उत्पादन क्षमता 40392 मेगावाट तक की जानी है। 2023 में अनुबंधित उत्पादन क्षमता 32356 मेगावाट तक ले जाने की है।
- 2022-23 में बिजली की अधिकतम मांग 26589 मेगावाट तक पहुँची जबकि 2014 में अधिकतम मांग 12327 मेगावाट ही थी। 2023-24 में अधिकतम मांग 27776 मेगावाट तक पहुँचने की संभावना है।
मुख्यमंत्री सड़क सुधार योजना
- 19 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार शहरों में लोगों को बेहतर सड़क की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये मुख्यमंत्री सड़क सुधार योजना शुरू करने जा रही है।
- मुख्यमंत्री सड़क सुधार योजना के लिये वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1000 करोड़ रुपए की व्यवस्था किये जाने की तैयारी है। इसके अलावा हाउस टैक्स की अधिक वसूली करने वाले निकायों को अतिरिक्त पैसे भी इसके लिये दिये जाएंगे।
- ज्ञातव्य है कि प्रदेश में मौजूदा समय में 17 नगर निगम, 200 पालिका परिषद और 545 नगर पंचायतें हैं, इनमें से 239 नई और सीमा विस्तार वाले निकाय हैं।
- शहरों में कालोनियों के साथ ही कुछ मार्गों को बनाने की जिम्मेदारी निकायों के पास है। निकायों के पास सड़क सुधार योजना और केंद्रीय व राज्य वित्त आयोग से पैसा प्राप्त होता है, लेकिन अतिरिक्त मद नहीं है। इसीलिये नगर विकास विभाग मुख्यमंत्री सड़क सुधार योजना नाम से अलग मद बनाना चाहते हैं, जिससे शहरों में लोगों को ज़रूरत के आधार पर सड़क की सुविधाएँ दी जा सकें।
- उच्च स्तर से सहमति के बाद नगर विकास विभाग ने नए बजट में इसके लिये प्रावधान करने का प्रस्ताव भेजा है। इसमें तर्क दिया गया है कि शहरी सड़कें प्रदेश के विकास का परिदृश्य प्रस्तुत करती हैं।
- सड़कों को गड्डा मुक्त किया जाना भी राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है तथा नागरिक सुविधाओं की डिलीवरी आदि के आधार पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले निकायों में समग्र विकास के लिये नाली के साथ सड़क की सुविधा देना ज़रूरी है। इसीलिये एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में मुख्यमंत्री सड़क सुधार योजना की शुरुआत की जाएगी।
- इसके अलावा निकायों में हाउस टैक्सवसूली को बढ़ावा देने के लिये इस योजना में अतिरिक्त पैसे दिये जाएंगे। उदाहरण के लिये निकाय जितना हाउस टैक्स वसूलेंगे, उसका 50 फीसदी अतिरिक्त पैसा दिया जाएगा। नगर विकास विभाग का मानना है कि इससे निकायों में हाउस टैक्स वसूली की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और आयमें बढ़ोतरी होगी।
- पूर्वांचल की शान 2023 में उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाने वाली विभूतियाँ सम्मानित
- 20 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेशके उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने लखनऊ में अमर उजाला की ओर से एक होटल में आयोजित पूर्वांचल की शान 2023 सम्मान समारोह में शान बढ़ाने वाली विभूतियों को सम्मानित किया।
- उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि उत्तर प्रदेशनित नए आयाम स्थापित कर रहा है। वैश्विक निवेश सम्मेलन के बाद प्रदेश आर्थिक मोर्चे पर पहले स्थान पर आने की ओर अग्रसर है।
- उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में एक तरफ काशी तो दूसरी तरफ प्रयागराज संगम नगरी है। कबीर भी अंतिम दिनों में पूर्वांचल पहुँचे। गोरखपुर में गोरक्षनाथ की महिमा किसी से छिपी नहीं है। आज़ादी की लड़ाई में भी प्रदेश का अपना अलग ही योगदान है।
- इनका हुआ सम्मान-
- वाराणसी- शिक्षाविद प्रो. राम मोहन पाठक।
- भदोही – कालीन निर्यातक इम्तियाज अंसारी।
- गाजीपुर – यूथ रूरल एंटरप्रोन्योर फाउंडेशन के संस्थापक संजय शेरपुरिया।
- मिर्जापुर – विद्या सार्थक ग्रीन सिटी प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी अरुण कुमार दुबे, सेठ द्वारका प्रसाद बजाज एजुकेशन सेंटर के निदेशक पारितोष बजाज व सत्यम इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर जय प्रकाश मौर्या।
- जौनपुर – मॉडर्नवीर रेज सिक्योरिटी फोर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रेसीडेंट ज्ञान प्रकाश सिंह, कुमुद गिरीश हास्पिटल प्रा. लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. क्षितिज कुमार शर्मा और ईशा हॉस्पिटल के जनरल सर्जन डॉ. रजनीश श्रीवास्तव।
- गोरखपुर – बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गनेश कुमार, टेनिस खिलाड़ी सगुन कुमारी, डीपी मोटर्स के नितिन मतनहेलिया।
- कुशीनगर – गीता इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के प्रबंध निदेशक ओपी गुप्ता व कृष्णा हास्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. संजयगुप्ता।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
- 21 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश पुरातत्त्व विभाग की निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये शहर की पाँच ऐतिहासिक इमारतों को हेरिटेज होटलों में बदलने के प्रस्ताव को शासन ने मंजूरी दे दी है।
- निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि प्रस्ताव मंजूर होने के बाद पर्यटन विभाग ने इन्हें असंरक्षित श्रेणी में डालते हुए यहाँ हेरिटज होटल विकसित करने का नोटिस चस्पाकर दिया है। इन इमारतों को डी नोटिफाई कर दिया जाएगा और इनके हेरिटेज होटल बनने की राह में आने वाली बाधाओं को दूर कर दिया जाएगा।
- माना जा रहा है कि इन इमारतों को होटल का लुक देने से न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पर्यटन विभाग की आय में भी इज़ाफा होगा। राजस्थान में इसी तरह से तमाम ऐतिहासिक इमारतों को होटलों में बदलने का बड़ा फायदा हुआ है। तेजी से पर्यटक इनके प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
- निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि फिलहाल लखनऊ की छतर मंजिल, रोशन-उद्दौला कोठी, कोठी गुलिस्ताने-इरम, कोठी दर्शन विलास और फरहद बख्स को हेरिटेज होटल में तब्दील करने की तैयारी है।
- उन्होंने बताया कि इन इमारतों को असंरक्षित किये जाने के मामले में यदि किसी भी व्यक्ति को आपत्ति हो तो वह विभाग में आपत्ति दर्ज करा सकता है और केवल उन्हीं आपत्तियों पर विचार किया जाएगा जो इस अधिसूचना के निरस्त होने के एक माह के भीतर आएंगी।
- डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि अन्य राज्यों में इमारतों को होटलों में बदलने के इस मॉडल ने विरासत को बचाने में काफी मदद की है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। इससे इन स्मारकों को जीर्ण-शीर्ण होने से बचाने में भी मदद मिलेगी।
- इन ऐतिहासिक इमारतों का व्यावसायिक उपयोग के लिये परिवर्तन करने से इनके संरक्षण में काफी मदद मिलेगी। राज्य एएसआई यह सुनिश्चित करेगा कि इमारत का नवीनीकरण और पुनर्निर्माण विरासत को प्रभावित किये बिना किया जाए।
- पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव ने बताया कि अन्य राज्यों की तर्ज पर इन भवनों को हेरिटेज होटलों में बदलने से इनके संरक्षण में मदद मिलेगी। साथ ही इससे राज्य की राजधानी में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- छतर मंजिल भवन – इस भवन का निर्माण नवाब सआदत अली खाँ ने 1798-1814 के बीच अपनी माता छतर कुँअर के नाम पर करवाया था। इसके बाद बादशाह गाजीउद्दीन हैदर के 1827-1837 के शासन काल में इस भवन को सँवारा गया।
- छतर मंजिल का भवन इंडो-इटालियन स्थापत्य कला से बना है। इसके भूतल की दीवारों से गोमती का पानी टकराता था, जिससे भवन में बराबर ठंडक बनी रहती थी। इस भवन का उपयोग अवध की बेगमों के निवास के लिये किया जाता था।
- यह भी माना जाता है कि सिंहासनारोहण के समय जब नवाब ने छत्र धारण किया तब उसने इस महल के ऊपर भी छत्र लगवाया था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में छतर मंजिल का प्रयोग क्रांतिकारियों ने किया।
- गुलिस्तान-ए-इरम – इसका निर्माण 19वीं शताब्दी की शुरुआत में अवध के दूसरे नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने करवाया था। यह नसीरुद्दीन का निजी पुस्तकाल यथा। ब्रिटिशकाल में यह सरकार का फार्म हाउस बन गया। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने कैसरबाग को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, क्योंकि यह नवाबों का गढ़ था। इसी आदेश के तहत गुलिस्तान-ए-इरम को भी ध्वस्त कर दिया गया।
- कोठी दर्शन विलास – कोठी दर्शन विलास के जिस भवन में अब स्वास्थ्य निदेशालय स्थित है, वह कभी एक महल था। इसका निर्माण नवाब गाजीउद्दीन हैदर के शासनकाल में शुरू हुआ।
- रोशन-उद्-दौला- अवध के नवाब नसीरुद्दीन हैदर (1827-1837) के शासनकाल के दौरान उनके प्रधानमंत्री रोशन-उद्-दौला ने इसका निर्माण कराया। इसे जल्द ही नवाब वाजिद अली शाह ने ले लिया। इसके वास्तु में ब्रिटिश और मुगल कला दोनों के संकेत मिलते हैं।
- फरहत बख्श कोठी – इस कोठी का मूल नाम मार्टिन विला था। इसका निर्माण मेजर जनरल क्लाउड मार्टिन ने सन् 1781 में करवाया था। यह इंडो-फ्रेंच वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। यह उनका निवास स्थान हुआ करता था।
उत्तर प्रदेश के 150 आईटीआई अपग्रेड होंगे
- 21 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को अपग्रेड करने जा रही है। अपग्रेडिंग के लिये 150 आईटीआई को चिह्नित किया गया है।
- राज्य सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के हज़ारों युवाओं को लाभ होगा और वो मौजूदा इंडस्ट्री की ज़रूरतों के हिसाब से स्किल और रोज़गार हासिल कर सकेंगे।
- विदित है कि व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के अंतर्गत प्रदेश में कुल 305 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) संचालित हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के कुल 72 व्यवसाय संबंधी प्रशिक्षण संचालित किये जा रहे हैं।
- इंड्रस्ट्री प्रस्तावों की मांग के अनुसार राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का आधुनिकीकरण किये जाने की आवश्यकता बताई गई है। आधुनिक बाज़ार के मांग के अनुरूप ऐसे नवीन व्यवसायों/पाठयक्रमों को प्रशिक्षण में सम्मिलित किया जाए, जिससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता से स्थानीय/राष्ट्रीय/वैश्विक औद्योगिक मांग के अनुरूप दक्ष मैन पावर तैयार किया जा सके। टाटा टेक्नोलॉजी लि.(टीटीएल) के इस प्रस्ताव को शासन की ओर से मंजूरी दी गई है।
- इसके अलावा टाटा टेक्नोलॉजी लि. एवं राज्य सरकार (व्यावसायिक शिक्षाएवं कौशल विकास विभाग) के बीच इसी संबंध में एक एमओए (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) भी किया गया है।
- कौशल विकास मिशन के डिप्टी डायरेक्टर राजीव यादव ने बताया कि इस एमओए के अंतर्गत प्रावधान किया गया है कि जिन आईटीआई को अपग्रेड किया जाएगा, उसमें आने वाले व्यय का 13 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार की ओर से दिया जाएगा, जबकि 87 प्रतिशत हिस्सा निजी कंपनी टीटीएल द्वारा उठाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
उत्तर प्रदेश फिल्म नीति-2023 को मंजूरी
- 22 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश फिल्म नीति-2023 को मंजूरी दी है।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने फिल्म निर्माण के लिये वातावरण तैयार करने और विभिन्न आवश्यक संसाधनों का शूटिंग के लिये समग्र विकास करने हेतु फिल्म नीति लागू की है।
- उत्तर प्रदेश फिल्म नीति-2023 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश को फिल्म निर्माण का केंद्र बनाने के लिये राज्य में फिल्मों की शूटिंग के साथ फिल्म में राज्य के कलाकारों को किरदार अदा करने का मौका देने पर सब्सिडी दी जाएगी।
- फिल्म निर्माण के लिये कुल शूटिंग दिवस के दो तिहाई दिन उत्तर प्रदेश में शूटिंग करने पर दो करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। वहीं, फिल्म प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना करने पर भी 50 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी।
- नोएडा में एक हज़ार एकड़ में फिल्म सिटी बनाई जा रही है। प्रदेश के अन्य ज़िलों में भी फिल्म निर्माण की सुविधाओं के विकास की योजना है। फिल्म सिटी में बनने वाली फिल्मों को भी इस नीति के अनुसार रियायत दी जाएगी।
- फिल्म नीति के तहत ये सुविधाएँ भी मिलेंगी-
- शूटिंग के लिये सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने, नियमानुसार भुगतान करने पर शासकीय गेस्ट हाउस, पर्यटन अतिथि गृह की व्यवस्था की जाएगी। विभागों के स्तर से आने वाली कठिनाइयों का समाधान भी किया जाएगा।
- आउटडोर शूटिंग करने वाली इकाइयों को पर्यटन निगम के गेस्ट हाउस व होटल में कमरे के किराए पर 25 फीसदी छूट दी जाएगी।
- प्रदेश में अवधी, ब्रज, बुंदेली, भोजपुरी क्षेत्रीय फिल्मों के लिये निर्माण पर 50 फीसदी, हिन्दी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं पर फिल्म बनाने पर 25 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। इसमें कुल शूटिंग दिवस के कम से कम 50 फीसदी यूपी में शूटिंग होने पर एक करोड़ रुपए तक सब्सिडी दी जाएगी।
- वेब सीरीज की शूटिंग पर प्रति एपिसोड 10 लाख या एक करोड़ रुपए तक सब्सिडी दी जाएगी। वेब फिल्म में पाँच मुख्य कलाकार उत्तर प्रदेश के होने पर 25 लाख रुपए की सब्सिडी दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश में बनेगा हाई टेक मिलिट्री अस्पताल
- 23 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले और राजधानी लखनऊ में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल का निर्माण होगा।
- मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल का निर्माण करने का उद्देश्य देश की सेवा में जुटे सैनिकों, सैन्य परिवार के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है।
- उल्लेखनीय है कि करीब एक दशक पूर्व मध्य कमान की ओर से पश्चिम उत्तर प्रदेश सब एरिया में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त मिलिट्री अस्पताल की आवश्यकता जताई गई थी। वर्ष 2011-2012 में इसके लिये एक प्रस्ताव भी बनाया गया था।
- वर्ष 2012-2013 में यह प्रस्ताव पहले मध्य कमान और उसके बाद रक्षा मंत्रालय भेजा गया। अब रक्षा मंत्रालय ने मेरठ में रक्षा भूमि पर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त मल्टीसुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल के निर्माण के साथ राजधानी लखनऊ में भी अत्याधुनिक मिलिट्री अस्पताल को मंजूरी दे दी है, जो मध्य कमान का सबसे बड़ा मिलिट्री अस्पताल होगा।
- मेरठ में यह मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल का निर्माण 379 करोड़ रुपए की लागत से होगा। यह अस्पताल 545 बेड का होगा।
- मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल के लिये सेना ने मेरठ के भगत चौक से औघड़ नाथ मंदिर के बीच ज़मीन पूर्व से ही चिह्नित कर रखी है। सेना की ओर से प्रस्तावित जमीन पर पूर्व में ही ‘साइट फॉर एमएच’का बोर्ड लगा दिया गया था। इस नए मिलिट्री अस्पताल से पश्चिम उत्तर प्रदेश के 14 ज़िलों के सैनिकों, पूर्व सैनिक और उनके परिवार लाभान्वित हो सकेंगे।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
इंडो-इजराइल ट्रॉमा कोर्स का उद्घाटन
- 24 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि आपदा प्रबंधन के समय किस तरह लोगों को ट्रॉमा सेटर पहुँचाया जाए, जहाँ उनका बेहतर इलाज हो सके। इसको लेकर बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में दूसरे इंडो-इजराइल ट्रॉमा कोर्स का आयोजन 24 से 26 फरवरी तक किया जा रहा है।
- बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि इंडो-इजराइल ट्रॉमा कोर्स के आयोजन के लिये इजराइल से पाँच सदस्यीय चिकित्सकीय टीम बुलाई गई है।
- उन्होंने बताया कि आयोजन से पहले टीम के सदस्यों ने ट्रॉमा सेंटर में मरीजों के इलाज, जाँच आदिकी व्यवस्थाओं की जानकारी ली। आपदा के समय बेहतर तरीके से प्रबंधन करने के उद्देश्य से शुरू ट्रॉमा कोर्स में 39 जीटीसी के जवान, एनडीआरएफ, पुलिस, पीएसी जवान, आरपीएफ, सीआरपीएफ के चयनित जवान प्रशिक्षण लेंगे।
उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी की नई नीति
- 26 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि प्रदेश में आग्जिलरी नर्स एंड मिडवाइफरी (एएनएम), जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) और पैरामेडिकल कोर्स में अब प्रदेश स्तरीय मेरिट से दाखिला होगा। इसके लिये उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी नई नीति बना रही है।
- उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी की नई नीति पर कॉलेज के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों से सलाह मांगी गई है।
- उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एएनएम की 19,220 व जीएनएम की 18,323 सीटें हैं। पैरामेडिकल के विभिन्न डिग्री एवं डिप्लोमा कोर्स में करीब 20 हजार से अधिक सीटें हैं। अभी तक इनमें दाखिला कॉलेज प्रबंधन करता था, परंतु अब कॉलेज अपनी मर्जी से दाखिला नहीं ले पाएंगे।
- दरअसल वर्ष 2023-24 से केंद्रीयकृत व्यवस्था बनाई जा रही है, जिसके तहत छात्रों को कोर्सवार आवेदन करना होगा, इसमें वरिष्ठता क्रम में कॉलेज का नाम भरना होगा।
- उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी में आने वाले आवेदनों में न्यूनतम योग्यता व इंटरमीडिएट में मिले नंबरों के हिसाब से राज्य स्तरीय मेरिट बनाई जाएगी, फिर काउंसिलिंग के जरिये कॉलेज अलॉट होंगे।
- फैकल्टी के सचिव प्रो. आलोक कुमार के मुताबिक अभी तक यह आरोप लगता था कि कॉलेजों की मिलीभगत से कम मेरिट वाले छात्रों को मनचाहे कोर्स और कॉलेज में दाखिला मिल जाता है। परंतु इस नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और मेधावी छात्रों के साथ न्याय होगा।
उत्तर प्रदेश के बलिया में 7 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन
- 27 फरवरी, 2023 को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तर प्रदेश के बलिया के चितबड़ा गाँव में 6500 करोड़ रुपए के निवेश से 7 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
- इस अवसर पर नितिन गडकरी ने बलिया-आरा के बीच 1500 करोड़ रुपए की लागत से 28 किलोमीटर ग्रीन फील्ड स्पर रोड के माध्यम से नए संपर्क मार्ग की भी घोषणा की।
- केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे के बनने से अब पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का इस्तेमाल करते हुए लखनऊ से पटना केवल साढ़े चार घंटे में पहुँचा जा सकेगा। बलिया से बक्सर आधे घंटे में, बलिया से छपरा एक घंटे में और बलिया से पटना डेढ़ घंटे में पहुँचा जा सकता है।
- उन्होंने कहा कि ग्रीन फील्ड हाईवे के निर्माण से पूर्वी उत्तर प्रदेश को बिहार के छपरा, पटना, बक्सर से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।
- इस एक्सप्रेस-वे से बलिया के किसानों की सब्जियाँ लखनऊ, वाराणसी और पटना की मंडियों में आसानी से पहुँच सकेंगी। सब्जी उत्पादक किसानों को वाराणसी, गाजीपुर और हल्दिया के तीन मल्टीमॉडल टर्मिनल का सीधा लाभ मिलेगा।
- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 130 करोड़ रुपए की लागत से चंदौली से मोहनिया तक ग्रीन फील्ड सड़क बनेगा। यह सड़क उत्तर प्रदेश के चंदौली और बिहार के कैमूर ज़िले को दिल्ली-कोलकाता जी.टी. रोड से जोड़ेगी।
- इसी तरह सैदपुर से मरदह तक सड़क बनेगा, जिससे सैदपुर होते हुए मऊ से वाराणसी का सीधा संपर्क हो जाएगा।
- केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि प्रदेश के अन्य शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी से प्रदेश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होगा। साथ ही आजमगढ़ ज़िले के पिछड़े इलाकों को भी नया कनेक्टिविटी मिलेगा।
वाराणसी में देश के पहले रोपवे ट्रांस पोर्ट के लिये 200 करोड़ रुपए मंज़ूर
- 1 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के बनारस के मंडलायुत्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि बनारस में दुनिया भर से आने वाले सैलानियों को अब भीड़भाड़ वाले इलाके कैंट स्टेशन से गौदौलिया तक के सफर के लिये रोपवे की सुविधा मिलेगी, जिसके लिये देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे को धरातल पर उतारने के लिये 200 करोड़ रुपए का बजट मंज़ूर हुआ है।
- 15 जनवरी के बाद जन सुविधाओं की लाइन को शिफ्ट करने के लिये तैयारी कराई जा रही है। रूट के लिये चिह्नित जमीनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी जनवरी महीने में ही शुरू हो जाएगी।
- उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से ज़मीन अधिग्रहण के लिये 173 करोड़ रुपए और जन सुविधाओं की लाइन को शिफ्ट करने के लिये 28 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा गया है। शासन ने इस बजट प्रस्ताव को मंज़ूरी देते हुए पहली किस्त जारी करने की पहल भी कर दी है।
- बजट जारी होने के बाद कैंट से गोदौलिया के बीच सड़क के नीचे से गुजर रही पानी, बिजली सहित अन्य लाइन को शिफ्ट करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
- ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वे में जलकल, स्मार्टसिटी, गेल, जल निगम, बीएसएनएल और बिजली विभाग के निर्माण को चिह्नित किया गया है। इसके अलावा कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक 75 किमी लंबे रोप-वे निर्माण के लिये 1.59 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहण के लिये चिह्नित है, जिसमें निजी 0.96 हेक्टेयर और सरकारी 0.63 हेक्टेयर है। सर्किट रेट से तय मुआवज़ा के आधार पर निजी ज़मीन पर 72 करोड़ रुपए और सरकारी ज़मीन पर 101 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- मंडलायुक्त ने बताया कि कैंट, भारतमाता मंदिर, बेसेंट थियेसोफिकल सोसाइटी रथयात्रा, गिरिजाघर और गोदौलिया चौराहे पर स्टेशन और 30 टॉवर बनाए जाने हैं। उन्होंने बताया कि रोपवे परियोजना के अंतर्गत प्रदेश में मार्च में रोपवे का काम शुरू हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
कर्नाटक की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश में होगा खेती का सर्वे
- 1 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि प्रदेश में अब कर्नाटक की तर्ज पर खेती का सर्वे किया जाएगा।
- अभी तक प्रदेश में अनुमान के आधार पर रबी, खरीफ व जायद की खेती के क्षेत्रफल, उत्पादन, प्राकृतिक आपदा पर हुए नुकसान संबंधी आँकड़े जुटाए जाते थे।
- कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक चला तो एक साल बाद यह साफ-साफ पता चल सकेगा कि किस ज़िले के किस किसान के पास कितनी खेती है।
- रबी, खरीफ और जायद में उसने कितने रकबे में क्या बोया और कितना बोया। कितना उत्पादन हुआ। इन सबके अब सटीक आँकड़े मिलेंगे। इनका डिजिटलीकरण भी होगा।
- विदित है कि अभी तक कृषि और राजस्व विभाग द्वारा ज़िला स्तर पर अनुमान पर आधारित प्रदेश की खेतीबारी के आँकड़े जुटाए जाते हैं।
- उन्होंने बताया कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र में सेटेलाइट मैपिंग की तैयारी की जा रही है। सेटेलाइट से ज़िलेवार, ब्लाकवार हर गाँव में किसानों के खेतों के आकार प्रकार, फसलों की बोवाई, उत्पादन आदि की सटीक जानकारी मिल सकेगी।
- उसी के अनुरूप किसानों को आवश्यक खाद, रसायन आदि उपलब्ध करवाया जाएगा और फसलों के चयन के बारे में एडवाइजरी दी जाएगी।
- अभी तक तो प्रदेश में खेतीबारी का सारा ब्यौरा अनुमान के आकलन पर संकलित होता है। इसमें पूरी तरह साफ-साफ यह पता नहीं चल पाता कि किस किसान ने कितने क्षेत्रफल में कौन सी फसल बोयी।
- अतिवृष्टि, बाढ़, पाला, अग्निकांड जैसी आपदा के समय भी सही-सही जानकारी जुटाने में काफी दिक्कत पेश आती है।
- गौरतलब है कि पिछले दिनों कर्नाटक के कृषि व राजस्व विभाग के अफसरों ने अपने राज्य में लागू सेटेलाइट सर्वे के मॉडल का प्रस्तुतीकरण उत्तर प्रदेश में आकर किया।
- कृषि मंत्री सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी यह मॉडल पसंद आया। इसे स्वीकृत किया गया और अब इसे उत्तर प्रदेश में संचालित करने की तैयारी की जा रही है।
बनारस देगा देश को कचरे से कोयला बनाने का प्लांट
- 4 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के बनारस नगर निगम के अधिशासी अभियंता अजय राम ने बताया कि धर्म-संस्कृति के लिये विख्यात बनारस अब देश को कचरे से कोयला बनाने का प्लांट भी देगा। कचरे से कोयला बनाने का पहला प्लांट बनारस के रमना में निर्माणाधीन है।
- अभियंता अजय राम ने बताया कि बनारस के रमना में प्लांट शुरू होने पर प्रति दिन 600 टन कचरे से 200 टन कोयले का उत्पादन हो सकेगा।
- कचरे से कोयला बनाने वाला यह देश का पहला प्लांट होगा, जिसका निर्माण एनटीपीसी की ओर से कराया जा रहा है। प्लांट में कचरे से कोयला बनाया जाएगा। इसका सफल परीक्षण अक्तूबर 2022 में हो चुका है।
- एनटीपीसी तय मानकों पर प्लांट की एक इकाई का तकनीकी परीक्षण कर रहा है। जून माह के अंत तक प्लांट की पहली इकाई शुरू की जाएगी। उत्पादन के बाद कोयले को आसपास के ज़िलों में संबंधित कंपनियों को बेचा जाएगा।
- वाराणसी में आम दिनों में प्रतिदिन 600 टन तथा खास मौकों पर 800 टन तक कचरा निकलता है। बड़ी ट्रकों से इसे शहर के बाहर कूड़ा निस्तारण प्लांटों तक पहुँचाया जाता है।
- उन्होंने बताया कि तीन साल के ट्रायल पर यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो अन्य प्रदेशों में भी प्लांट लगाया जाएगा। प्लांट निर्माण आगामी 25 साल को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। प्लांट की क्षमता आठ सौ टन से अधिक कचरा प्रसंस्करण की होगी। प्लांट को दिसंबर 2023 तक शुरू करने का लक्ष्य है।
भारत में रिवर क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देगा दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज ‘गंगा विलास’
- 8 जनवरी, 2023 को केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानं द सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 13 जनवरी, 2023 को वाराणसी में एमवी गंगा विलास के साथ दुनिया की सबसे लंबे रिवर क्रूज का शुभारंभ भारत के लिये रिवर क्रूज पर्यटन के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक होगा।
- यह लग्जरी क्रूज भारत और बांग्लादेश के 5 राज्यों में 27 नदी प्रणालियों में 3,200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा।
- एमवी गंगा विलास क्रूज को दुनिया के सामने देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये सुसज्जित किया गया है। विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों, और बिहार में पटना, झारखंड में साहिबगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों सहित 50 पर्यटन स्थलों की 51 दिनों की क्रूज यात्रा की योजना बनाई गई है।
- एमवी गंगा विलास के यात्रा कार्यक्रम को ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व के स्थानों पर रुकने के साथ भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने के लिये तैयार किया गया है।
- वाराणसी में प्रसिद्ध गंगा आरती से, यह बौद्ध धर्म की महान श्रद्धा के स्थान सारनाथ में रुकेगा। यह मायोंग को भी कवर करेगा, जो अपनी तांत्रिक विद्या के लिये जाना जाता है और माजुली, सबसे बड़ा नदी द्वीप और असम में वैष्णव संस्कृति का केंद्र है।
- यात्री बिहार स्कूल ऑफ योग और विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी जाएंगे, जिससे उन्हें आध्यात्मिकता व ज्ञान में समृद्ध भारतीय विरासत से रूबरू होने का मौका मिलेगा।
- यह क्रूज रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिये प्रसिद्ध बंगाल डेल्टा की खाड़ी में सुंदरबन के जैव विविधता से भरपूर विश्व धरोहर स्थलों के साथ- साथ एक सींग वाले गैंडों के लिये प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से भी गुज़रेगा।
- एमवी गंगा विलास क्रूज 62 मीटर लंबा, 12 मीटर चौड़ा है और 4 मीटर के ड्राफ्ट के साथ चलता है। इसमें तीन डेक हैं, 36 पर्यटकों की क्षमता वाले बोर्ड पर 18 सुइट हैं, जिसमें पर्यटकों के लिये एक यादगार और शानदार अनुभव प्रदान करने के लिये सभी सुविधाएँ हैं।
- जहाज अपने मूल में स्थायी सिद्धांतों का पालन करता है, क्योंकि यह प्रदूषण मुक्त प्रणाली और शोर नियंत्रण तकनीकों से लैस है। एमवी गंगा विलास की पहली यात्रा में स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटक वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक की यात्रा का आनंद लेंगे। एमवी गंगा विलास के डिब्रूगढ़ पहुँचने की संभावित तिथि 1 मार्च, 2023 है।
- उल्लेखनीय है कि एमवी गंगा विलास क्रूज अपनी तरह की पहली क्रूज सेवा है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के सहयोग से इस सेवा की सफलता से उद्यमियों को देश के अन्य हिस्सों में रिवर क्रूज का लाभ उठाने के लिये उत्साहित होने की संभावना है।
- वैश्विक रिवर क्रूज बाज़ार पिछले कुछ वर्षों में 5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है और 2027 तक क्रूज बाज़ार के 37 प्रति शत तक पहुँचने की उम्मीद है। विश्व में यूरोप रिवर क्रूज जहाजों के मामले में लगभग 60 प्रतिशत भागीदारी के साथ विकास कर रहा है।
- भारत में, कोलकाता और वाराणसी के बीच 8 नदी क्रूज जहाजों का संचालन होता है, जबकि राष्ट्रीय जलमार्ग 2 (ब्रह्मपुत्र) पर क्रूज की आवाजाही भी संचालित होती है। देश में कई जगहों पर रिवर राफ्टिंग, कैम्पिंग, दर्शनीय स्थलों की यात्रा, कयाकिंग आदि जैसी पर्यटन गतिविधियाँ संचालित हैं।
- राष्ट्रीय जलमार्ग 2 पर 10 यात्री टर्मिनलों का निर्माण किया जा रहा है जो रिवर क्रूज की संभावना को और बढ़ा देगा। वर्तमान में, राष्ट्रीय जलमार्ग 2 में चार नदी क्रूज जहाज काम कर रहे हैं, जबकि यह राष्ट्रीय जलमार्ग 3 (वेस्ट कोस्ट कैनाल), राष्ट्रीय जलमार्ग 8, राष्ट्रीय जलमार्ग 4, राष्ट्रीय जलमार्ग 87, राष्ट्रीय जलमार्ग 97, और राष्ट्रीय जलमार्ग 5 में सीमित क्षमता में काम कर रहा है।
- अब जबकि अंतर्देशीय जलमार्गों में क्षमता निर्माण के लिये पूंजीगत व्यय को बढ़ाया जा रहा है, अर्थव्यवस्था के लिये एक व्यवस्थित फॉरवर्ड और बैकवर्ड के लिंकेज के साथ नदी क्रूज, विशेष रूप से नदियों के दोनों किनारों पर विकसित होने के लिये तैयार है।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1
बीएचयू में देश का पहला स्पाइनल इंजरी रिहेबिलिटेशन सेंटर
- 15 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के बनारस में बीएचयू ट्रामा सेंटर के प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीएचयू ट्रामा सेंटर में देश के पहले स्पाइनल इंजरी रिहेबिलिटेशन सेंटर खोलने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
- प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि बीएचयू ट्रामा सेंटर में देश का पहला एडवांस केयर एंड रिहेबिलिटेशन सेंटर खुलने से ब्रेन, स्पाइन और न्यूरो की गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को अब काशी में ही विश्व स्तरीय इलाज की सुविधा मिलेगी।
- उन्होंने बताया कि स्पाइनल इंजरी रिहेबिलिटेशन सेंटर में ब्रेन, स्पाइनल, न्यूरो ऑप्थलेमिक इंजरी की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ ही पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से इलाज की सुविधाएँ मिलेंगी। इलाज की ऐसी सुविधा अभी ऑस्ट्रेलिया में है।
- विदित है कि बीएचयू ट्रामा सेंटर में वाराणसी और आसपास के ज़िलों के साथ ही बिहार, झारखंड आदि जगहों से सड़क दुघर्टनाओं में घायल गंभीर लोग आते हैं। कई ऐसे लोग होते हैं, जिन के स्पाइनल और ब्रेन में गंभीर चोटें लगी होती हैं। इलाज के बाद भी व्यक्ति सामान्य जीवन में नहीं लौट पाता है।
- डॉक्टरों के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में एडवांस केयर रिहेबि लिटेशन सेंटर के माध्यम से ऐसे मरीजों का सफल इलाज हो रहा है। अब ऑस्ट्रेलिया की तरह ही बीएचयू में देश का पहला ऐसा केंद्र होगा, जहाँ इस तरह की सुविधाएँ दी जाएंगी।
- ट्रामा सेंटर में बनने वाले सेंटर में रोबोटिक सर्जरी, स्पीच थेरेपी और सर्जरी के माध्यम से मरीजों को नया जीवन देने की तैयारी है। यहाँ आधुनिक तकनीक वाली मशीनें मंगाई जाएंगी।
- रोबोटिक सर्जरी की मदद से सड़क दुर्घटनाओं के समय पैर और शरीर के ऐसे भागों में जहाँ नसें काम करना बंद कर देती हैं। उसे रोबोटिक तकनीक की मदद से सही कराया जाएगा।
- हेड इंजरी वाले मरीजों को सर्जरी के बाद भी सही से न चल पाने और बोल पाने की समस्या रहती है। नए सेंटर में ऐसे मरीजों के लिये ऑकुपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी की व्यवस्था की जा रही है। इससे मरीजों का इलाज आसान हो जाता है।
- रिहेबिलिटेशन सेंटर के लिये कुल 200 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कराया गया है। इसमें 200 बेड का सुपर स्पेशियलिटी भवन भी बनेगा। खास बात यह है कि यहाँ इलाज के साथ पठन-पाठन, शोध और मूल्यांकन की सुविधा रहेगी। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को न्यूरो, स्पाइनल इंजरी के इलाज का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
- सेंटर में ये सुविधाएँ मिलेंगी-
- पेड यूनिट: कॉमर्शियल स्तर से चिकित्सा सुविधा का लाभ लोग ले सकेंगे। निजी हॉस्पिटल से कम खर्च आएगा।
- सब्सिडाइज्ड यूनिट: कम कीमत पर पात्र लोगों को चिकित्सा सुविधा दी जाएगी।
- स्ट्रेटिजिक फार्मेसी यूनिट: पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत फार्मेसी यूनिट का संचालन होगा।
- स्ट्रेटिजिक एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिट: ब्रेन, स्पाइन और न्यूरो की गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को अब काशी में ही विश्व स्तरीय इलाज की सुविधा मिलेगी।
उत्तर प्रदेश में एससीआर बनाने पर काम शुरू
- 17 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के आवास विभाग के प्रमुख सचि व नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि राज्य में एनसीआर की तर्ज पर राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) बनाने पर काम शुरू हो गया है।
- आवास विभाग के प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) के गठन की दिशा में बाराबंकी में सबसे पहले विकास प्राधिकरण बनाया जाएगा। बाराबंकी एससीआर का हिस्सा है।
- उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की तर्ज पर एससीआर बनाया जा रहा है। लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी, कानपुर नगर और कानपुर देहात ज़िले इसके हिस्सा होंगे।
- प्रस्ताव मिलने के बाद मुख्यमंत्री के समक्ष इसका प्रस्तुतीकरण किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि बाराबंकी ज़िला राजधानी से सटा हुआ है। इसलिये इसके आसपास के क्षेत्रों में तेजी से अवैध कालोनियाँ बस रही हैं।
- बिल्डर यहाँ औने-पौने दामों पर ज़मीन लेकर आवासीय और व्यावसायिक योजनाएँ ला रहे हैं। बाराबंकी में अभी तक विकास प्राधिकरण न होने की वजह से न तो इन कॉलोनियों का नक्शा पास कराया जा रहा है और न ही इस पर रोक लग पा रही है।
प्रधानमंत्री ने बस्ती ज़िले में सांसद खेल महाकुंभ 2022-23 के दूसरे चरण का उद्घाटन
- 18 जनवरी, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ 2022-23 के दूसरे चरण का उद्घाटन किया।
- इस खेल महाकुंभ के दौरान कुश्ती, कबड्डी, खो-खो, बास्केट बॉल, फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, शतरंज, कैरम, बैडमिंटन, टेबल टेनिस आदि जैसे इनडोर और आउटडोर दोनों तरह के खेलों में विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है। इनके अतिरिक्त, निबंध लेखन, पेंटिंग, रंगोली बनाने जैसी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।
- गौरतलब है कि खेल महाकुंभ का पहला चरण 10 से 16 दिसंबर, 2022 तक आयोजित किया गया था और खेल महाकुंभ का दूसरा चरण 18 से 28 जनवरी, 2023 तक निर्धारित है।
- इस सांसद खेल महाकुंभ का आयोजन बस्ती ज़िले के सांसद हरीश द्विवेदी द्वारा 2021 से किया जा रहा है। खेल महाकुंभ एक अनूठी पहल है जो ज़िला बस्ती और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं को अपनी खेल प्रतिभा दिखाने का अवसर और मंच प्रदान करता है और उन्हें खेल को करियर विकल्प के रूप में लेने के लिये प्रेरित करता है। यह क्षेत्र के युवाओं में अनुशासन, टीमवर्क, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा , आत्मविश्वास और उनमें राष्ट्रवाद की भावना जगाने का भी प्रयास करता है।
- प्रधानमंत्री ने खेल महाकुंभ की व्यापकता की सराहना करते हुए आशा व्यक्त की है कि इस तरह के आयोजनों के माध्यम से खेलों में भारत की पारंपरिक विशेषज्ञता को एक नया आयाम मिलेगा। करीब 200 सांसद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इस तरह के खेल महाकुंभ का आयोजन कर चुके हैं।
- प्रधानमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि इन खेलों के माध्यम से प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को भारतीय खेल प्राधिकरण के तहत आगे के प्रशिक्षण के लिये चुना जा रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 40000 एथलीट खेल महाकुंभ में भाग ले रहे हैं।
- प्रधानमंत्री ने बताया कि खेलो इंडिया के माध्यम से 2500 एथलीटों को प्रतिमाह 50,000 रुपए की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है।
- टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) के तहत करीब 500 ओलंपिक संभावित खिलाडि़यों को तैयार किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए कुछ खिलाड़ियों को5 करोड़ से 7 करोड़ रुपए तक की सहायता मिली है।
- देश भर में एक हज़ार से अधिक खेलो इंडिया ज़िला केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं, जिन में से 750 से अधिक केंद्र पूरे हो चुके हैं। देश भर के सभी खेल के मैदानों की जियो टैगिंग भी की जा रही है, ताकि खिलाड़ियों को ट्रेनिंग लेने में कोई दिक्कत न हो।
- उन्होंने बताया कि सरकार ने पूर्वोत्तर के युवाओं के लिये मणिपुर में एक खेल विश्वविद्यालय का निर्माण किया है और मेरठ, (उत्तर प्रदेश) में भी एक अन्य खेल विश्वविद्यालय का निर्माण किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश समसामयिकी-2023 | UP Current Affairs Part-1